与 «खित्ता»相关的印地语书籍
在以下的参考文献中发现
खित्ता的用法。与
खित्ता相关的书籍以及同一来源的简短摘要提供其在 印地语文献中的使用情境。
विना खित्ता हुआ पुल, कल".: के गुप्त पूल है अ कोई नई और विलक्षण घटना: शजर गु० [अ०] वृष' शजरदार वि० [पम] जिसपर रोल हो' विशेषता नगीना आदि: शम पु० य० जास] श कक्ष २ यश.: ये पटवारी का नकशा ।
Acharya Ramchandra Verma, Badrainath Kapoor, 2012
खित्ता ण सबल इहिथखाजणेण औगर्धहेहींति : तदा खात्तथा सिमोन रामवयसोन रामोंसिरिण आईहसितिन हत्सेतारूँयेन ।वेदपकेन, ।विदूमय बाह्यणावादार्यतिविचशषणपू, अर्थिति ब्राह्मर्ण ...
Jagdish Lal Shastri, 1983
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Aṅguttaranikāye Manorathapūraṇī: ... - Page 264
असन्तेत्य न दिस्सन्ति, रत्ति खित्ता यथा सरा"ति 11 (ध० प० ३०४) - इमं गाथमाह । अनाथपिण्डिको 'पते, मम, धीतु सङ्गहं करोथा' 'ति वन्दित्वा पवकामि । सत्था आनन्दत्येरं आमन्तेसि... सानन्द ...
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Hindī upanyāsa meṃ cetanā-pravāha paddhati - Page 187
... ताड़ के वृक्ष, आकर्षक हरियाली कर छोटा-सा खित्ता है फिर पटरियाँ, फिर डिवी । वह इधर ईट) का भट्ट है, वे काली चिमनियों, वह पोखर जिसमें गन्दा पानी भरा है । । औ-हमारी टूर पटरियों पर मोड़ ...
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Kåryavāhī; Adhikrta Vivarana - Page 120
... जरूरत नहीं : बहिन जिला कागड़ा के से-दर नूरपुर केनजदीक एक एख है जहाँ मलिका नूर आ कर रहती थी और तुजके बाबरी में इस बात कता जिक्र है कि वहा इतना खूबसूरत खित्ता जमीन का यर और ऐसा जगल ...
Himachal Pradesh (India). Vidhan Sabha, 1979
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Saddhammopāyanaṃ: mūla evaṃ Hindī anuvāda - Page 28
११४ ॥ ततो मुहुत्तमतेन तेसं आयासकारकी । कण्णे दड्ढसलाका व नत्थि सहीपि विज्झति ॥ ११५ ॥ किं न सोस्सन्ति ते पेता नत्थि सहं सुदारुणं । येहि सन्तेसु देयेसु खित्ता नत्थीति याचका ॥
Sthavir Ānanda, Paramānanda Siṃha, Brahmadevanārāyaṇa Śarmā, 1993
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Abhidhānarājendraḥ: - Volume 5
विमाणमालाई नहं पकिन्त्र, निसाtर तारागणर्स कुल खा ॥ Il t८8. Il पासिलु देवी मनसा विचिते, अहो आई मेाहवसा उ खित्ता ॥ जिणी सर्य एरिसरि्द्धर्मतो, पिहुं पिहुं कम्मामपर्ण जियाण ॥ ll 8.
Vijayarājendrasūri, Bhūpendrasūri, Yatindravijaya (Muni.), 1985
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Śrī-Sthānāṅgasūtram: Sthanang sūtram - Volume 1
जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपञ्चत्थिमेर्ण दो खित्ता पण्णत्ता बहुसमतुल्ला अविसेस० जाव–तं जहा—पुष्वविदेहे चेव अवरविदेहे चेव ॥ जंबूमंदरस्स पवयस्स उत्तरदाहिणेणे ...
Kanhaiyālāla (Muni.), 1964
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Śrī Guru Grantha Sāhiba: mūla pāṭha evaṃ Hindī anuvāda
भक्ति की ठगबूटी उसे खित्ता कर उसे मोहित कर तो और अन्य कहीं भी भाग दौड़ मत करो । नानक विनती करता है कि उस सज्जन प्रभु के साथ मिलकर अमर पद प्राप्त कर तो । । तो । । हैरानी में मैं उस ...
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The Mahāvagga - Volume 24 - Page 451
असले-पथ न दिस्तन्ति, रति खित्ता यथा सरा ति 1: एवं पि यथा दिस्तति चवखुमा । चयखुमा ति । भगवा पटकनी चवखुष्ट चन्द-रामा तो संसचवखुना पि चच., दिय-बचपना पि चवखुमा, परूआचकहुदना पि ...
Jagadīśa Kāśyapa (Bhikkhu.), 1956