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बिहार में लगातार गिरते पुलों को देखते हुए सोशल मीडिया पर यह चुटकुला चल रहा है कि अगर आप बिहार घूमने निकले हैं और आगे कोई पुल दिखे तो गाड़ी वापस मोड़ लेने में ही भलाई है. हादसे को ह्यूमर में बदल देना हमारे देश का हुनर है जबकि सरकारों, प्रशासनिक अमलों का हुनर ये है कि वे भयानक से भयानक त्रासदियों में भी चैन की नींद सो सकती हैं.
बिहार में पिछले 16 दिनों में दस पुलों के धराशायी होने की खबरें सामने आई हैं, और ऐसा नहीं है कि ये घटनाएं पहली बार हुई हैं. बिहार में पुलों का गिरना जैसे इस राज्य की पहचान बन चुका है. सिर्फ पुराने ही नहीं, निर्माणाधीन पुल भी इस नियति से सुरक्षित नहीं हैं. ऐसे में सवाल मौजूं हो उठता है कि आखिर बिहार में लगातार पुलों के गिरने की वजह क्या है?