O QUE SIGNIFICA प्रकृति EM MARATA
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Nature-woman 1 A origem do corpo ou da mente; Original- Religião, estado, status; Natureza; Corpo; Até agora Sete dos Vícios Os tipos de sintomas são descritos como: -wataj, pittaj, kafaz, vat Pitta, vataqafaz, kapaputta prakrit e samadhut ou sam- Existem muitos tipos de natureza, natureza e natureza. Por exemplo Hot flame-fat-soft-nature Religião, origem ou origem "Instalação de sucata de Prakritshana". O polegar e a coxa são ignorância. Sintonize até 3,53 ' Magenti Jeevat encontrou-se abençoado. Professor 11.666 3 (elemento) A causa do universo; Causa fundamental; Conjunção; É Ao contrário de razões espirituais; A principal fonte dos materiais de todas as criaturas. "Todas as coisas do mundo em que o assunto básico é dar-lhes o básico, A natureza é chamada Asa. -Gir 155 4 (Vedanta) Maya; Etc.- Maya; A vontade de criar o universo de Brahma; Avidya 'Diga assim Mês anterior Eu poderia achar isso possível. Boa natureza. 4.44 5 palavras (gramática) ou bolas metálicas A forma original do prefixo. 6 terra, água, vento, ar, Oito substâncias no céu, mente, intelecto e ego; Inconveniência Natureza Os cinco primeiros, chamados Panchamahatan, Seus cinco sentidos (odor, suco, forma, toque e palavras etc.) Como a causa raiz e a mente, o intelecto e o ego também Outro problema era a natureza, mantendo-o na natureza. Veja os cinco pilares. 7 Estado- Sete membros da administração - Swami, Amatya, Suhrid, Kosh, Nation, Fort, E força. Há mais pessoas envolvidas. Primeiro Satsa diz ter uma variedade total de oito tipos e oito espécies de fenótipo. Esta é também a reencarnação da alma (Swami, Amatya e Suhrid) e Existe uma distinção entre o exorcismo (o cosmos, a nação, a força forte e as pessoas). 8 pessoas; Rayat 'O pedido de natureza pode ocorrer no dia seguinte Descendentes. -Move 13.104 9 um verso 10 Uma das maneiras - Normalmente executando tipo de quartzo [V.] (V.). Cores- Venha - (Doença da doença, raiva, ódio, etc.) Falha, confusão, etc. será decepcionante. प्रकृति—स्त्री. १ शरीर किंवा मन ह्यांचा मूळस्वभाव; मूळ-
धर्म, अवस्था, स्थिति; स्वभाव; शरीर; तब्यत. वैद्यशास्त्रांत सात
प्रकारच्या प्रकृती सांगितल्या आहेत:-वातज, पित्तज, कफज, वात
पित्तज, वातकफज, कफपित्तजप्रकृति आणि समधातु किंवा सम-
प्रकृति, ह्यांशिवायहि बर्याच प्रकारच्या प्रकृति आहेत. उदा॰
ऊष्ण सीत-उग्र-मंद-कोमलप्रकृति इ॰ २पदार्थमात्राचा मूळ-
धर्म, मूळस्वभाव किंवा मूळस्थिती. 'जंव प्रकृतीचें अधिष्ठान ।
तंव सांडी मांडी हें अज्ञान ।' -ज्ञा ३.५३ 'तियें आघवींचि
मागुतीं । जिंवत भेटली प्रकृती ।' -ज्ञा ११.६६६. ३(तत्त्व)
विश्वाच्या उत्पत्तीचें कारण; मूळकारण; समावायीकारण; ह्याच्या
उलट अध्यात्मिक कारण; सर्व सृष्टींतील पदार्थांचें मुख्य मूळ.
'जगांतील सर्व पदार्थांचें जें हें मूलभूत द्रव्य त्यास सांख्यशास्त्रांत
प्रकृति असें म्हणतात.' -गीर १५५. ४ (वेदांत) माया; आदि-
माया; ब्रह्माची जग उत्पन्न करण्याची इच्छाशक्ति; अविद्या.
'म्हणोनि आघवें । मागील मज आठवे । मी अजुही परि संभवें ।
प्रकृतियोगें ।' -ज्ञा ४.४४. ५ (व्याकरण) शब्दाचें किंवा धातूचें
प्रत्यय लागण्यापूर्वींचें मूळ रूप. ६ पृथ्वी, आप्, तेज, वायु,
आकाश, मन, बुद्धि आणि अहंकार हे आठ पदार्थ; अष्टविधा-
प्रकृति. ह्यापैकीं पहिले पांच, ज्यांस पंचमहाभूतें असें म्हणतात,
त्यांचा पंचसूक्ष्मभूतांशी (गंध, रस, रूप, स्पर्श आणि शब्द इ॰
शीं) मूलकारण म्हणून संबंध लावून व मन, बुद्धि अहंकार तसेच
ठेवून दुसरी अष्टविधा प्रकृति होते. पंचमहाभूतें पहा. ७ राज्य-
कारभाराचीं सात अंगे-स्वामी, अमात्य, सुहृद्, कोश, राष्ट्र, दुर्ग,
आणि बल. ह्यांत आणखी प्रजेचा अंतर्भाव करितात. पहिल्या
सातांना सप्तविधाप्रकृति व आठांना अष्टविधाप्रकृति असें म्हणतात.
ह्याचाहि पुन्हां अंतःप्रकृति (स्वामी, अमात्य आणि सुहृद् ) व
बहिःप्रकृति (कोश, राष्ट्र, दुर्ग बल आणि प्रजा) असे भेद आहेत.
८ प्रजा; रयत. 'दुसरे दिवशीं प्रकृति प्रार्थिति येऊनि आपुल्या
पतितें ।' -मोवन १३.१०४. ९ एक छंद. १० कांहीं एक व्यवहा-
राचा सामान्यतः चाललेला प्रकार. [सं.] (वाप्र.) ॰ताळ्या-
वर येणें-(आजार, राग , द्वेष इ॰ मुळें झालेला) तब्यतीचा
बिघाड, मनःसंताप इ॰ नाहींसा होणें. प्रकृतीचा ताळ बिघ-
डणें-नासणें-सोडणें, प्रकृतीनें ताळ सोडणें-टाकणें-
ताळ्यांतून जाणें-१ तब्यत बिघडणें; शरीराचा जोम, कस,
स्वास्थ्य, तेज इ॰ कमी होणें, नाहींसें होणें २ भांडण्यास सुरवात
करणें, होणें, रागावणें; क्रोधाविष्ट होणें. प्रकृतीनें चालणें-
जाणें-वागणें-असणें-एखाद्याच्या मर्जीप्रमाणें, स्वभाव, मन,
इच्छा. इ॰ प्रमाणें वागणें; (आपल्या) स्वभावानुरूप, मर्जीप्रमाणें
वागणें. प्रकृतीवर टाकणें-ठेवणें-असूं-देणें-आजार वगैरे
नैसर्गिक रित्या बरा होऊं देणें. सामाशब्द- ॰गत-वि. प्रकृतीच्या
किंवा मायेच्या स्वाधीन झालेला; मायोपाधिक. 'आणि हाचि
प्रकृतिगतु । सुखदुःखभोगी हेतु । -ज्ञा १४.३४. ॰ज-वि. उप-
जत; जन्मतः; स्वाभाविक. '...भय मुलामध्यें प्रकृतिज असतें.'
-नीति २६४. ॰दोष-पु. जन्म, मृत्यु इ॰ शारीरिक विकार.
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10 LIVROS EM MARATA RELACIONADOS COM «प्रकृति»
Descubra o uso de
प्रकृति na seguinte seleção bibliográfica. Livros relacionados com
प्रकृति e pequenos extratos deles para contextualizar o seu uso na literatura.
1
प्रकृति के पथ पर: कविता संग्रह - पृष्ठ 44
कविता संग्रह सत्येन्द्र हेमन्ती. ढल रही थी रात अपनी मंद गति से, आ पड़ी थी खिलखिलाती भोर अपनी मंद गति से, अब चाँद भी था, मोर भी और मोरनी भी; ताला भी था, चकोर भी और चकोरी भी; सब ...
2
अवधी लोक साहित्य में प्रकृति पूजा: Awadhi Lok Sahitya Mein ...
Awadhi Lok Sahitya Mein Prakriti Pooja विद्या बिंदु सिंह, Vidya Bindu Singh. प्िरय परदेस में हैं। मैं कैसे धैर्य धारण करूँ? सब सिखयाँ िहंडोलाझूल रही हैं और मैं अपने प्िरय के बनाये हुए मकान के ...
विद्या बिंदु सिंह, Vidya Bindu Singh, 2015
3
Bharatiya Darshan Ki Rooprekha
प्रकृति को प्रधान कहा जाता है, क्योंकि यह विश्व का प्रथम कारण है । प्रथम कारण होने के कारण विश्व को समस्त वस्तुएँ प्रकृति पर अजित है । किन्तु प्रकृति स्वयं स्वतन्त्र है । प्रकृति ...
Harendra Prasad Sinha, 2006
4
Philosophy: eBook - पृष्ठ 118
(THIF)ORY (OF' THREE) (GUNAS) सांख्य दर्शन के प्रवर्त्तक कपिल जी हैं इन्होंने विश्व के मूलाधार के रूप में प्रकृति तथा पुरुष इन दो तत्वों को माना है। प्रकृति के तेईस विकार होते हैं।
5
Bharatiya Darshan Indian Philosophy - पृष्ठ 131
प्रकृति के अन्य नाम सांख्य दर्शन में प्रकृति को "प्रधान', "अविद्या', "माया', 'अनुमा', ३"जड़', 'अव्यक्त' है चुप, "अविनाशिनी' आदि नामों से भी सम्बोधित किया गया है । ' प्रकृति को अन्य ...
6
Nirala Ki Sahitya Sadhana (Vol. 1 To 3)
यह तुष्टि सिया है प्रकृति के दो रूपों में । एक प्रकृति है मनुष्य के भीतर दूसरी प्रकृति है मनुष्य के बाहर । इन तोनों के चिरन्तन संघर्ष का परिणाम है मानव जीवन का विकास है मनुष्य का ...
7
Aagman Tarkshastra - पृष्ठ 29
जैसे--- "प्रकृति प्ररूप है है (1१ 110113: 15 ।।1111०1111); 'प्रकृति अपनी पुनरावृति करती है ' (।५।ष्टा।ण८...: 16136815 118८...:11); 'भविष्य भूत की तरह होगा ' (1भं3ष्ण८ 18 मु०1/क्षा1आं 13)' 1शा8), वहीँ ...
8
Mithak Aur Swapna - पृष्ठ 54
'सति' और संन्दिर्य, सोन्दर्य की प्रकृति तथा प्रकृति का सोन्दर्य 'कामायनी' की कान्तिमान चेतना है । महाकाव्य में 'पुत्प्र-विहीनी अकेली 'प्रकृति' हैं उम के तांडव अथवा जलपनावन से ...
दशक 17 : प्रकृति पुरुष ये विजय दशक हैं। मन रहित होने में परमार्थ समाया हैं| मन से बोलना और मन को बोलना इसमें अंतर हैं। निगुण ब्रम्ह अद्वैत हैं। गुणरहित हैं, उसमें सर्वप्रथम निश्चल ...
मानव और मानव-कृत पदार्थों के अतिरिक्त विश्व में जो कुछ रूपात्मक सत्ता दृष्टिगोचर होती है उसका चित्रण जब काव्य में किया जाता है तब उसे 'प्रकृति-चित्रण' कहते हैं : आकाश-मयल में ...
10 NOTÍCIAS NAS QUAIS SE INCLUI O TERMO «प्रकृति»
Conheça de que se fala nos meios de comunicação nacionais e internacionais e como se utiliza o termo
प्रकृति no contexto das seguintes notícias.
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वेअद्भुत प्रकृति प्रेमी थे। सचिवालय में अधिकारी थे इसलिए सरकारी बंगला मिल गया था। उसमें उन्होंने तरह-तरह के पेड़ लगा रखे थे । जब भी उनसे मिलने जाएं अपने बगीचे में ले जाते। एक-एक पौधे को बच्चों की तरह लाड़ करते। देखो- ये गुलाब है और ये मोगरा। «Patrika, set 15»
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आज के मशीनी युग में हमारे लिए प्रकृति का मतलब है जल, वायु, अग्नि जैसे उसके तत्वों का हमारे लिए उपयोग। तो क्या प्रकृति सिर्फ यही सब है? किष्किंधा कांड में श्रीराम जब सुग्रीव को राजा बनाने के बाद वन में आए तब वे विरह में डूबे हुए थे। ऐसे में ... «दैनिक भास्कर, ago 15»