BUKU BASA INDIA KAKAIT KARO «निबड़»
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1
Giridhara kavirāya granthāvalī
... नीचनी है यह पाई जाके अंतर बसे, जिरी को डसहै लगिन कह गिरिधर करिराय, ज्ञान कर तू उत्पन रे निबड़ अँधेरों नारी, मूल अविख्या मन रे ३९७ कुरसिया "सया रस-शुर परयो, साँचे रस की छोड़ इन विषयन ...
Giridhara, Kiśorī Lāla Gupta, 1977
एक-एक कली भी डाहु१णि तो अगले 'सयाने निबड़ जाएगी ।'' मौसी खुश हो पाले हामी भरने को हुई, फिर झट में तेरी लाल यहि, तू ययों ऐसे काम केरे र' बात परत चोली--"ऐसे 'पालन, एक वार शेखजी के यह, ...
3
Hindī aura Malayālama meṃ Kr̥shṇa-bhakti-kāvya
कबहुँक निबड़ तिमर आलिगनि वल पिक पर गावति । काल सम्-मजसे आति करि संगहीन उठि धावति । कराय नयन होति; अतर गति अपना पहिरावति । परमानन्द प्रभु खाम ध्यान करि ऐसे विरह गंवावति । स-पल-प्र" ...
4
Śrat-pratibhā - Volume 7
दोनोंकी सेवायें, निर्मरताषे, हृदयकी अकाल शुभ कामन., और तुम सोगोके निबड़ स्नेहन गम्भीर एकता मौज; है; किन्तु, तुम्हारे अन्दर ऐसा एक स्वार्थलेशहींन सु-कोमल निर्तिप्त-भाव और ऐसा ...
Śaratcandra Caṭṭopādhyāya
5
Māṇika granthābalī - Volume 11
... गुकाद्धा जाने इशहुन ना कातु] निबड़ दृदेदानारो | प्रेहोतु निदान हुराग बान या रा औद्यातु जीवका प्रानद मा लेनिन बान जरे दप्रिनातु छनुगी चाक औदकाहुमा जैतिल | कायोन हुकुनि रस १.
6
Raghunātharūpaka gītāṃro
नह अल धड़ हब भव निबड़ है । छट बतया छड़ छह सुद छड़ : अस उरद अड़ बड़ दूम धड़ है: झड़ विल औसा सूम झड़ । धर कीजवे हड़ धार धड़ ।ना बड़ विरच राजड़ वीर ।।२।हे कुल किसन कल. गोपियों है उदय रज अद्भुत ...
Manasārāma son of Bakhaśīrama, 1940
7
Gujarāta ke Kr̥shṇabhaktta kavi aura unakā Brajabhāshā kāvya
... निबड़ गये ते राम रहे वे मात 11 तुम ये गुरुदच्छिना मांगी आन दियो विख्यात । करवट सुत कसे अंधे है भी ज्येष्ठ तिहरि भ्रात 11 सो मोकु को देत जु नाहीं जो कुछ वल्लभ मात 1 ( राग गौडी ) ...
8
Ādhunika Telugu kavitā: Devanāgarī lipyaṅtaraṇa aura Hindī ...
... जीव जन्तुओं के रव लक्ष लक्ष नक्षत्र-खचित नीलतिरिक्ष में निबड़ निखिल गीतों के स्वर भूमि-प शासन-सता का पतन कपर-त या समर सभी में तेरी व्यायक्त चेतना तेरे विश्व-रूप का ही दर्शन और ...
Chavali Suryanárayana Murty, Bairāgī, 1969
9
Hindī sāhitya kā udbhava aura vikāsa
कबहुँक निबड़ तिमिर आलिष्टि कबहुँक पिक सुर गावै । कबहुँ-क संभ्रम यवासिचवाति कहि संग हीन उठि धाये । कब-हुँ-झ मैंन रेल अतिरगति मनिमाखा पहियों । परमानन्द प्रभु रूम ध्यान करि ऐसे ...
Rāmabahorī Śukla, Bhagirath Mishra, 1956
10
Reproduction of Earlie edition of the Sabdarthacintamanih
गत व 18 वर्ष भी व्यवण| ] विभाग: । धन्वं खादेमुचीपाद ] ] गन्तु मुखर्जमतम् 1 अपच नि व मनिवइया गीत विविध मुच्य, त॥ अनिवई भवेदुगीत वगौदिन यमलना ॥ बदमकथानुले रान अब बिना कृतम् निबड़ बभवे ...