APA TEGESÉ आदीनव ING BASA INDIA?
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Definisi saka आदीनव ing bausastra Basa India
Tembung pisanan istilah [ora] 1. Nyalahke 2. Mangsa Kasangsaran Pembalikan 3. Sorrow Ora nyenengake (nganti 0). आदीनव संज्ञा पुं० [सं०]
१. दोष । २. क्लेश । विपर्ति । ३. दुःख ।
बेचैनी (को०) ।
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BUKU BASA INDIA KAKAIT KARO «आदीनव»
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आदीनव ing pilihan bibliografi iki. Buku kang kakait dening
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रूपों का आदीनव क्या है है यहाँ भिक्षुओं ! उसी षोडशी बालम को, समय जाकर; अस्सी बर्ष की, ना०बे वर्ष की सौ वर्ष की हुई को देखे उस समय उसका भी शरीर जीर्ण, टेढा-मेवा, डण्डे के सहारे चलता ...
Dwarikadas Shastri (Swami.), 1993
2
Madhyānta-vibhāga-śāstra : containing the Kārikā-s of ...
अभिनिवभिलक्षण: प८रूचभिरइं:, तस्थाक्षिप्तस्य येनाभिनिरंत्तिर्यथाभिनिहूँत्तियाँ चाभिनिर्युत्ति: तस्था८न्दच य आदीनव इति । केनाक्षिष्यते ? अविद्याप्रत्यये: स-खासे, यथा ...
3
Dharmadharmatāvibhaṅgakārikā - Page 37
आदीनव प्रवृलि-आश्रयपरावृति के अभाव से चार प्रकार के आदीनव होते हैं 1 १. श्लेशकी--. अय-ति-तुम-रेल-मेत/मप्रापर । यय-जि/द्वारा-मपब-ममा-तर । हुस्व(९रिमावापू८४-२म.ष्य । मनमम/नेम/नेषि-पल एर ...
Maitreyanātha, Tshul-khrims-phun-tshogs, Vasubandhu, 1990
4
Abhidhammatthasaṅgaho - Volume 2
द्वितीय आरूष्यध्यान को प्राप्त करने के लिए भावना करनेवाला योगी प्रथमारूप्पविज्ञान में आदीनव देखते हुए भी द्वितीय आरूष्यध्यान की प्राप्ति के लिए प्रथमारूण्यविज्ञान के ...
Anuruddha, Revatadhamma (Bhadanta.), 1992
5
Sumaṅgalavilāsinī - Volume 2
इस प्रकार गुही जीवन को दोषपूर्ण समझाता, ही आदीनव संज्ञा की भयावना है है (५) प्रहाण संज्ञा की भावना :--प्रहाण कय अर्थ त्याग होता है । मनुष्य जिन वस्तुओं में ममत्व का भव स्थाधित ...
6
Suttapiṭake Saṃyuttanikāyapāli - Volume 3 - Page 13
मन., भिक्खवे, आदीनव-, परियेसनं अचरि है यों सरस आदीनवो तदजागमं । यावता मनम आदीनवो पत्की-नाय में सो सुदिट्ठी । मनमम, भिवखवे, निरस-रण-, परियेसनं अचरि । यं मनम निस्सरर्ण तदजागम९ ।
Jagadīśa Kāśyapa (Bhikkhu), 1959
7
Vijñaptimātratāsiddhi-prakaraṇadvayam
मृग, हस्ती आदि पाँच उपमाओं द्वारा पांच कामगुणों के आदीनव का कुशलतापूर्वक प्रतिपादन किया गया है । १९ दुद्धानुस्मृतिदीका-यह तुद्धानुस्कृतिसूत्र की विस्मृत बीका है ।
Thubatana Chogaḍuba, Ram Shankar Tripathi, 1972
8
Śodha-prabhā - Volume 4
(यथा-कयने न ते आदीनव: ) श्रीदामति-कयं मुद्रिर्तव वाचि है वस१मती--(सस्थिषा) तुम्हकुलक्कमागदो एसी जेव्य आजीवो । ता जुज्जइ गमन ति पडिभादि । [युसकुलक्रमागत एष एवाजीव: । तद युज्यते ...
Śrīlālabahāduraśāstrikendrīyasaṃskr̥tavidyāpīṭham, 2004
9
जातक-अट्ठकथा: मूल पालि के साथ हिन्दी-अनुवाद
... ( आश्र्वदि जल )| इसका प्रिलोचाला इरिश मतप्रता से भरा हो अधिद्या से आझान्त रनोगों को यह ( शरीर) आकर्षक ( -भागुभ ) मालूम होता हो यह जिकुइ-पक्षच्छासनुश शरीर अनेक जोयों ( आदीनव ) से ...
Buddhaghosa, Śivaśaṅkara Tripāṭhī, 2006
10
Patimokkha, bhikkhu-vibhanga & bhikkhunivibhanga
प्रतिपदाज्ञानदर्शनविशुद्धि-ल्लेश से रहित, विधि में लगे हुए विपश्यना वाले उदय-व्यय, भज, भयतोपस्थान, आदीनव, निर्वेद, मुरिस्वतुकूम्यता, प्रतिसंख्या और संस्कारोपेक्षा, इन आठ ...