हिन्दी किताबें जो «पान्यो» से संबंधित हैं
निम्नलिखित ग्रंथसूची चयनों में
पान्यो का उपयोग पता करें।
पान्यो aसे संबंधित किताबें और हिन्दी साहित्य में उसके उपयोग का संदर्भ प्रदान करने वाले उनके संक्षिप्त सार।.
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The Mahābhārata: containing Anushasana Parva, Ashuamedhika ...
9३ कत्मनेष वरों मेठस्तु प्राणे वाघ महँझ्वरात्। न पान्यो देंवतौ काहे मबैकामफखऱमपि है एवमुह्वार तु देवेंदं दुड़खादाकुपितैमृइय: ५ न मदीदनि मे देव: किमेंनदिनि रिन्तयनू है ८२० ...
Vyāsa, Nimachand Siromani, Jaya Gipāla Tirkalanka, 1839
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The White Yajurveda - Volume 1
... पाशिन्ाः पक्तिणी बधल्ति तथा वां मा बघ्रलु श्रथ ये परियन्थिनी भवयुस्तानतीक् िश्रतिक्रम्यागरु किमिव धन्व इव धन्व निरुद्कदशः यथा पान्यो मलेशमतिक्रम्य गश्ति तथागरु ॥५३॥
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Mahanirvana Tantra With The Commentary Of Hariharananda ...
... में नम: उत्-माहे ध नम: आत्यविवो अ: नम: गो: दशक सस्वीनामरेषु कमा: के नम: सं नम: री नम: वं नम: सु नम: वं नम: छे नम: जे नम: हाँ नम: वं नम: । पान्यो: दशानां सस्वीनामयेपु कमा: है नम: है नम: ही नम: वं ...
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Biddhashalabhanjika, a Drama
चजय यम यज९ण1 यकरियताभनन्दा पान्यो: यतकी जब-परिय बकूरति तदा जीविरुलग्य इति । (ड) गा-वारी-दद-शल ग।बनिवेव्यदत् यलगी.वद्याथ विच(मेच । अ-वरों दे विक-जण" । जाते सभिर्णरे पीव [यद सुमरते, चय- ...
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Agni Puráṇa : a collection of Hindu mythology and traditions
इदाभिवस्थास३ आत मारे जैसे जाब-बरि: है र ३ है: यन्दादारया वाय' शिर आरम पान्यो: : अहि-पूरु-' च नाभि-शय-वरु: हैं २९ ४ यम-लगो; च अधीन चाडिर्वय८ ( वक्ष:त्पश१ने१थधेनि य१०, हैर० च ।
Rājendralāla Mitra (Raja), 1985
स अब क्यों भिन्न होय मेरी सजनी नित्यो दूध अरु पान्यो ।। परमानंददास को ठाकुर है पहिली पहिचान्यों ।न्दिभी मन मान्यों ।। स्थायी २ ३ म गु । रे- सा:: में री । मा ई ।: प्र २ ३ ४ २ ३ हैर बह प ।
Bhagavatīprasāda Premaśaṅkara Bhaṭṭa, 1983
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Śabdakalpadrumaḥ, arthāt, ... - Volume 3 - Page 29
( यथा, हरिवंशिी । ४२ ।" श् । “यथा निदाघसमये रुद्रर्याँशुपरिपीड़ित: ॥ पान्यो याति जलं द्वपृट्रा त्वरित ततृपिपासया ॥') पार्ण, की, ( पाति रचति चप्रसादात्मानमिति ॥ पा +“पानी विघिभ्य: प: ।
Rādhākāntadeva, Varadāprasāda Vasu, Haricaraṇa Vasu, 1987
8
Vājasaneyi-mādhyandina śuklayajurveda-saṃhitā: ... - Volume 6
अथ ये परिपन्दिनो भव्य:, तानतिक्रम्य इहि आगम । किमिव ? धन्य इव । वन्य निरुदकदेशा । यथा पान्यो निब्दकदेशमतिकम्य ग-दशति तथा । अध्यात्मपक्षी--भक्ता भगवन्तमाह्नयन्ति । संधि-काह ...
Hariharānandasarasvatī (Swami.), Gajānanaśāstrī Musalagām̐vakara, 1986
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Śrīrāmacaritamānasa tathā Śrīmadbhāgavatakā saṃracanā evaṃ ...
५ अध्यक्ष: कतिचित्पक्षान् वामुमक्षस्तत: परब : ४२ए ३ १५ महनान इव स्व-म प्रसन्नसलिलाशयब : तरी २ ४ .२ ० आहुती मंयते पान्यो यत्र कोकिलकुजिर्त: । तरी २ ५, : ए तत: क्षुत्२टूपरिआन्ती उ-: ४1२६-१ ...
Bālacandrikā Pāṭhaka, 1985
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Critical study of proverbs and idioms in Hindi poetry with ... - Page 319
... निकालना तथा केसर धारण करने की इच्छा का भाव पति, पारी पाठ तथा लावै आदि शमन द्वारा प्रकट हो रहा है । तृतीय में जगा को सो पान्यो' रूढ लक्ष्य": द्वारा बालकृष्ण की मन की निर्मलता ...