हिन्दी किताबें जो «घोटाई» से संबंधित हैं
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घोटाई का उपयोग पता करें।
घोटाई aसे संबंधित किताबें और हिन्दी साहित्य में उसके उपयोग का संदर्भ प्रदान करने वाले उनके संक्षिप्त सार।.
1
Rājasthāna : svatantratā ke pahale aura bāda:
मरिको (घोटाई चित्र) व २. मुराल (लाक्षारस चित्र) । ये प्राय: अब मरिको नाम से ही जाने जाते हैं, परन्तु शिल्पगत परिभाषा में प्र-रिको उन चित्रों को कहते हैं जो दीवार पर चुने के चिकने ...
Mohanlal Sukhadia, Candragupta Vārshṇeya, 1966
2
Moriśasa ke Bhojapurī lokagītoṃ kā vivecanātmaka adhyayana
विवाह गीत, परिजन गीता मांडों छवाई का गीत, इमली घोटाई का गीता बिदाई गीत, संझा गीत, पराती, गारी, झूमर, लिवना, नकटा, चलती, लवारी, निर्धन, भजन । द्वितीय अध्याय त ६ १ मोरिस में प्रचलित ...
कपडे का धोया हुआ रूप औत है, उस पर चावल आदि के मांड से घोटाई 'ममिल है, फिर काजल आदि की सहायता से रेखांकन लांछित है और उसमें रंग भरना 'रंजित' अवस्था है (6- 1.3) । सम्भ्रान्त परिवार में ...
Hazari Prasad Divevedi, 1992
4
Kahata Alakhānanda: santavāṇī, Svāmī Alakhānanda Jī ke ...
अफीम घोटाई । मजूम नर खाई के औधे, बेहोश होय परि जाई । त नमन के कछु सुधि न-ह राखत, गांठ के द्रव्य गंवाई, अकिल नशा में धुसिंयाई । काम-कोव लोभ मोह मद्य तृषा", सकल नशा से अधिकाई । इनके गहत ...
Alakhānanda (Swami.), Ramāśaṅkara Śrīvāstava, 1971
5
Sadgrantha bhavayāna saṭīka
कवित्त ईद से जगाई जु सिमेष्ट से घोटाई पुनि, ऊपर रंगाई शिल्पदार मन आइये । ठौर-ठौर बेल बूते चित्र खिचे जालीदार, बिजली की रोशनी विविध रंग लाइये ।१ मृदु मंजु सेज जहँ ताव बिछे अन्दर में ...
6
Bhaiṣajya kalpanā vijñāna
वरन् घोटने वाला कार्यकर्ता हाथ से उठाकर अच्छी तरह घोटाई का काम कर सके, इतना ऊँचा (लम्बा) तथा भारी होना चाहिये । - अर्धचन्द्र (खरल) यंत्र :–यह उपरोक्त खज्ञ यंत्र का एक भेद है जिसका ...
Awadh Bihari Agnihotri, 1983
दर माँ हूँ ते मरी जाई भरी बजार मई धणी हूँ भटवयों कंस दोकाने घणी तुने कदर नी जसे भूतल के तरसे मारी जी घोटाई-धोटाई नकहिं लंगोटी पेरेली हूँ ते मरी जाई कुण लावहे कोफन कुण बाकी मने ...
कर वे एकाएक घोट्ठा अपने दोस्ती को देते और तस्तियों की घोटाई शुरू हो जाती : घोटारते-घोटारते किसी-किसी के हाथ में तो छाले तक पड़ जाते । जब घोल खत्म होती तो फिर आपस में ज्यों-बय ...
अवे बल वेणी चाहिते : मालवा रो तो नीपज्यों थक, कुंवारी छोरी रे हाथ री नाणी लीदो थकी, घोटाई ने हथेली में लेवे दो अमल चीखते रेवे : उ-हाँ होवण दो रंग : हुकम रंग सुणवा में आवे-रागों बाग ...
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R̥tugīta: svara aura svarūpa - Page 53
जैसे-बारात के गीत, परिय, चुमावन, इमली, घोटाई, मोनिका, मादा, जोग टोना, सहाना, बना आदि । इन गीतों में वर-पके स्थान पर राम सीता का प्रसंग भी आता है है जैसे-पालकी चबल आवे सिया के ...