हिन्दी किताबें जो «आदीनव» से संबंधित हैं
निम्नलिखित ग्रंथसूची चयनों में
आदीनव का उपयोग पता करें।
आदीनव aसे संबंधित किताबें और हिन्दी साहित्य में उसके उपयोग का संदर्भ प्रदान करने वाले उनके संक्षिप्त सार।.
रूपों का आदीनव क्या है है यहाँ भिक्षुओं ! उसी षोडशी बालम को, समय जाकर; अस्सी बर्ष की, ना०बे वर्ष की सौ वर्ष की हुई को देखे उस समय उसका भी शरीर जीर्ण, टेढा-मेवा, डण्डे के सहारे चलता ...
Dwarikadas Shastri (Swami.), 1993
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Madhyānta-vibhāga-śāstra : containing the Kārikā-s of ...
अभिनिवभिलक्षण: प८रूचभिरइं:, तस्थाक्षिप्तस्य येनाभिनिरंत्तिर्यथाभिनिहूँत्तियाँ चाभिनिर्युत्ति: तस्था८न्दच य आदीनव इति । केनाक्षिष्यते ? अविद्याप्रत्यये: स-खासे, यथा ...
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Dharmadharmatāvibhaṅgakārikā - Page 37
आदीनव प्रवृलि-आश्रयपरावृति के अभाव से चार प्रकार के आदीनव होते हैं 1 १. श्लेशकी--. अय-ति-तुम-रेल-मेत/मप्रापर । यय-जि/द्वारा-मपब-ममा-तर । हुस्व(९रिमावापू८४-२म.ष्य । मनमम/नेम/नेषि-पल एर ...
Maitreyanātha, Tshul-khrims-phun-tshogs, Vasubandhu, 1990
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Abhidhammatthasaṅgaho - Volume 2
द्वितीय आरूष्यध्यान को प्राप्त करने के लिए भावना करनेवाला योगी प्रथमारूप्पविज्ञान में आदीनव देखते हुए भी द्वितीय आरूष्यध्यान की प्राप्ति के लिए प्रथमारूण्यविज्ञान के ...
Anuruddha, Revatadhamma (Bhadanta.), 1992
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Sumaṅgalavilāsinī - Volume 2
इस प्रकार गुही जीवन को दोषपूर्ण समझाता, ही आदीनव संज्ञा की भयावना है है (५) प्रहाण संज्ञा की भावना :--प्रहाण कय अर्थ त्याग होता है । मनुष्य जिन वस्तुओं में ममत्व का भव स्थाधित ...
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Suttapiṭake Saṃyuttanikāyapāli - Volume 3 - Page 13
मन., भिक्खवे, आदीनव-, परियेसनं अचरि है यों सरस आदीनवो तदजागमं । यावता मनम आदीनवो पत्की-नाय में सो सुदिट्ठी । मनमम, भिवखवे, निरस-रण-, परियेसनं अचरि । यं मनम निस्सरर्ण तदजागम९ ।
Jagadīśa Kāśyapa (Bhikkhu), 1959
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Vijñaptimātratāsiddhi-prakaraṇadvayam
मृग, हस्ती आदि पाँच उपमाओं द्वारा पांच कामगुणों के आदीनव का कुशलतापूर्वक प्रतिपादन किया गया है । १९ दुद्धानुस्मृतिदीका-यह तुद्धानुस्कृतिसूत्र की विस्मृत बीका है ।
Thubatana Chogaḍuba, Ram Shankar Tripathi, 1972
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Śodha-prabhā - Volume 4
(यथा-कयने न ते आदीनव: ) श्रीदामति-कयं मुद्रिर्तव वाचि है वस१मती--(सस्थिषा) तुम्हकुलक्कमागदो एसी जेव्य आजीवो । ता जुज्जइ गमन ति पडिभादि । [युसकुलक्रमागत एष एवाजीव: । तद युज्यते ...
Śrīlālabahāduraśāstrikendrīyasaṃskr̥tavidyāpīṭham, 2004
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जातक-अट्ठकथा: मूल पालि के साथ हिन्दी-अनुवाद
... ( आश्र्वदि जल )| इसका प्रिलोचाला इरिश मतप्रता से भरा हो अधिद्या से आझान्त रनोगों को यह ( शरीर) आकर्षक ( -भागुभ ) मालूम होता हो यह जिकुइ-पक्षच्छासनुश शरीर अनेक जोयों ( आदीनव ) से ...
Buddhaghosa, Śivaśaṅkara Tripāṭhī, 2006
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Patimokkha, bhikkhu-vibhanga & bhikkhunivibhanga
प्रतिपदाज्ञानदर्शनविशुद्धि-ल्लेश से रहित, विधि में लगे हुए विपश्यना वाले उदय-व्यय, भज, भयतोपस्थान, आदीनव, निर्वेद, मुरिस्वतुकूम्यता, प्रतिसंख्या और संस्कारोपेक्षा, इन आठ ...