10 BÜCHER, DIE MIT «अनाविद्ध» IM ZUSAMMENHANG STEHEN
Entdecke den Gebrauch von
अनाविद्ध in der folgenden bibliographischen Auswahl. Bücher, die mit
अनाविद्ध im Zusammenhang stehen und kurze Auszüge derselben, um seinen Gebrauch in der Literatur kontextbezogen darzustellen.
1
Abhijñānaśakuntalam: Kālidāsaviracitam. Samīksātmaka ...
प्रत्यादेश:--निराकरणमू, तिरस्कार । अव्यय-अना-मिति-अनघ" तह/मर अनाथों पुप्पमिव, कररुहैरण्ड" किसलयमिव, अनाविद्ध: यल इव, अनान्दाडिबसं नवें मधु इव, पुययानामू अखण्ड" फल इव च (अन्ति) ।
Kālidāsa, Nirūpaṇa Vidyālaṅkāra, Bābū Rāma Pāṇḍeya, 1969
2
Apna Morcha: - Page 148
फिर राजा विदूषक से अपने मन की बात बताता है और आसरा-कन्या शकुन्तला को अनाआत पुष्प, अनाविद्ध रत्न, अब किसलय और अनास्वादित-रस मधु की भाँति बताता है, और यह चिंता भी व्यक्त करता ...
3
Sanskrit-Hindi Kosh Raj Sanskaran - Page 49
अनाविद्ध (वि०) [ न० त० ] न बिना हुआ, जिसमें लिद्र न किया गया हो । अनासक्ति (स्वी० ) [ नत त० ] 1 फिर न लौटना 2 फिर जन्म न होना, गोल ' अनावृष्टि: (स्वी०) [ न० त० ] सूखा पड़ना, 'गो' का एक भेद ।
4
Aastha Aur Saundarya - Page 62
वह अनायास पर है, अब किसलय है, अनाविद्ध रत्न है, अनासशदित नव मधु है, उसका अनध रूप पुशयों का अखंड फल है । पेभी की रूप-कुलीनता उसे आत्मविभोर कर देती है है अन्य कवियों की भीति यशीनदास ...
5
Hadappa Sabhyata Aur Vaidik Sahitya: - Page 556
अमराम ( । .1 "य)-- बिखरा हुआ, जया हुआ : अनाविद्ध (6.75 1)-अनसिदा : अरंकृत ( 8)17) अलंकृत । अरेप (5.53.3) तो बेदाग । अनिणक्रि29०13) निर्वोष । आम (8.10.1, व्य-बनाया हुआ. निर्मिति : आकृति ( 1 0.8 5.5) ...
यदि अललुरण से ही रूप की तुलना करनी हो, तो केवल पुष्य से न करके 'अनल पुजा' से करनी होगी । इसी प्रकार 'अल किसलय', 'अनाविद्ध राल' और 'अनास्वादित मधु' से रूप के तत्व को समझा १, अभिज्ञान.
दूसरा उदाहरण जैसे अभिज्ञान शाकुन्तल में :अनावर्ती पुष्य किसलयमलुनं कररुहै: अनाविद्ध" रम मधु नवमनास्थादितरसन् है अखण्ड" पुण्य-नां फलमिव च तदूपमनवं, न जाने भोत्लरं कमिह ...
Dhanañjaya, Govinda Triguṇāyata, 1966
8
Bharatiya natya sastra tatha Hindi-natya-vidhana : Study ...
आप, अस-संत, अनाविद्ध अंग-ओं से सम्पन्न, लय-ताल-कला-काल के प्रमाण से नियत, सुविभक्त पदालापमय, अनिष्ट तथा अकाहल-अजाकूल अभिनय होने पर लक्षणानुसारी शास्वसंमत हो जाने के कारण ...
9
Ekādaśa nāṭya-saṅgraha aura prayoktāgaṇa: Bhāratīya nāṭya ...
अनुज, असंगत, अनाविद्ध अंग चेष्टाओं से युक्त, लय, ताल और कला के प्रमाणों से नियत, पदालाप का सुविभाजन, अनि-टर और अनाकूल अभिनय होने से 'आजर' नाट्य होता है । इस प्रकार अभिनय के लिए ...
Swami Akhaṇḍānanda Sarasvatī, 1969