10 BÜCHER, DIE MIT «अनुनायक» IM ZUSAMMENHANG STEHEN
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अनुनायक in der folgenden bibliographischen Auswahl. Bücher, die mit
अनुनायक im Zusammenhang stehen und kurze Auszüge derselben, um seinen Gebrauch in der Literatur kontextbezogen darzustellen.
1
Ādhunika Hindī-nāṭakoṃ meṃ khalanāyakatva
भोज ने इसकी चार कोटियों स्वीकृत की हैं जाते नायक, उपनाम अनुनायक और प्रतिनायक ।० नायक रूपक में फल-ता होने के कारण सम्पूर्ण कथा पर प्रत्यक्षत:-अप्रत्यक्षतठयापा: होता है । उपनाम ...
Tripurāriśaraṇa Śrīvāstava, 1981
2
Saṃskr̥ta nāṭakoṃ meṃ pratināyaka
'पृढारप्रकाशकार भोज; नायक, प्रतिनायक के अतिरिक्त, उपनाम तथता अनुनायक के रूप में चार भूमिकाओं का उल्लेख करते है । यह अभिनवगुप्त की उपर्युक्त व्यमया से भिन्न है अंह किंचित् ...
ऐते नायक प्रधान नायक की फल-मासि में मुख्य सहायक होते हैं है इस कारण किसी नाटक में अनुनायक वह पात्र होता है जो नाटक के नायक को तुलना में कम महत्व का होता है । प्रतिनायक वह नायक ...
4
Saṃskr̥ta bhāṇa sāhitya kī samīkshā
जैसा कि इस प्रबन्ध के द्वितीय अध्याय में निदिष्ट किया गया है है भागों में अनुनायक भी मिलता है, । पताका नायक को जब नायक की हित सिद्धि के साथ ही स्वकीय फलान्तर की भी प्रतीत हो ...
... की विद्या में वह निवात है [ शरीर से विशाल है और ऐसी १. वही, पृ० ५१टा २- वहि, २५. ३. वही, ३१२८४० 'पताका' तथा 'पकरी' के नेता को 'अनु-नायकों कहा गया है है 'अनुनायक' न-यक की कार्य-सिद्धि में ...
6
Śr̥ṅgāra rasa kā śāstrīya vivecana - Volume 1
आ नायक भेद-----: के प्रथम चार भेद हैं-नायक, प्रतिपूर्ष (प्रतिनायका, उपपूर्व ( उपन-यक ) और अनुनायक । इनमें नायक त्यागी, कृती एवं कुलीन होता है । यह सर्वगुणवान् नेता कथा-व्यापी अर्थात् ...
Inder Pal Singh, Indrapāla Siṃha Indra, 1967
... प्रबल हुए । उन्होंने उन वह मस्वार किया तथा अनेक क गया । उम समय तक आपात वीरसेन तथ, अटचीपाल उपहार दिए; शुभ संवाद लेकर उनके पथ आए अनुनायक को भी पुरस्कृत किया 312 पोनापति समयमिब (भाप)
8
Benīpurījī ke nāṭakoṃ meṃ sāmājika cetanā - Page 145
Prabhā Benīpurī. उपनाम-नायक के समान ही पूज्य और श्रेष्ट होता है; लेकिन नृपपद का अधिकारी नहीं होता : अनुनायक-नायक से कुछ न्यून होता है : कथावस्तु के संगठन में इसका विशेष योग होता है ।
9
Kālidāsa ke rūpakoṃ kī bhāshā-saṃracanā, bhāshā-vaijñānika ...
'अनुनायक' सहायक नायक-होता है, पताका या प्रकरण के नायक प्राय: इसी कोटि के होते हैं । अनुनायक प्रधान नायक की फल-प्राप्ति में मुख्य सहायक होते हैं । 'प्रतिनायक' नायक के किया-कलाप के ...
10
Nāṭyālocanā - Page 108
आचार्य भोज ने उनकी चार श्रेणियों की परिकल्पना की है यथा नायक, उपनयन अनुनायक और प्रतिनायक 10 उक्त भेदों का आधर भी भरत ह-रा प्रतिपादित बाह्य पुरुषों का वर्गीकरण है । पात्रों के ...
Lakshmīnārāyaṇa Bhāradvāja, 1991