মারাঠিএ अनाप्त এর মানে কি?
মারাঠি এর অভিধানে «अनाप्त» এর
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মারাঠিএর অভিধানে अनाप्त এর সংজ্ঞা
Anapta-বনাম। বিদেশী; না আত্মীয় স্বজন না আত্মীয়। 'জাঁ উটের মধ্যে নবম নয় তারা মায়ের অকার্যকর শ্রীরাম মনিতি খুব কাছাকাছি। ' -পিপি 3.236 [এড। A + incidence] अनाप्त—वि. परकीय; नातलग किंवा संबंधीं नव्हे तो. 'जें
नवमास वाहे उदरांत । ते माता करुनि अनाप्त । स्त्रियेसि मानिति
अति आप्त ।' -एभा ३.२३६. [सं. अ + आप्त]
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«अनाप्त» এর সঙ্গে সম্পর্কিত মারাঠি বই
নিম্নলিখিত গ্রন্থপঞ্জী নির্বাচনে
अनाप्त শব্দটির ব্যবহার খুঁজুন। মারাঠি সাহিত্যে
अनाप्त শব্দের ব্যবহারের প্রসঙ্গ সম্পর্কিত বই এবং তার থেকে সংক্ষিপ্তসার।
1
Bakharavāṅmaya, udgama āṇi vikāsa
... व्यकतीचे चित्रण येथे आले अहे एवदेच नाही तर शेवटी बल-कीरा-रखे आप्त अनाप्त छाले व अमल जाठासारखे अनाप्त आप्त अगले हे सांगून व्य-कामना-तोया इंनेचे दर्शन बावरकाराने धडविले आये.
2
A Dictionary, English and Marathi: Compiled for the ... - पृष्ठ 778
प्रमाणावांचूनचा, अप्रमाण, अप्रामाणिक. UNAUrHoRrrATrvE, a. चिनप्रमाणाचा, अप्रमाण, भप्रामाणिक, प्रमाणरहित, निष्प्रमाण, अनाप्त, अनार्ष. UNAUTHoRrTATrvENEss, n. w. A. प्रमाणाभाव m.
James Thomas Molesworth, Thomas Candy, 1847
3
Adbhut Pakshi Vishwa / Nachiket Prakashan: अद्भुत पक्षी विश्व
बट्या (केमिन टील-अनाप्त" ब्रेल्बन्का) , क्खिल्या बाड्डा (उक्ति क्वर्वेल्डचूला) इत्यादी. या बदकामाधे विशेष उल्लेख करायचा - तो म्हणजे भारतीय सर्पपक्षी (जरि-ऊं-हिया रूफा) शरीर ...
Dr.Pratibha & Jayant Sahasrabuddhe, 2009
4
Tukaram Gatha: Enhanced by Rigved
परस्परें हे सादरा सादर । योग सज्जनच्या सुखा नहीं पार वो ॥3॥ भक्तिवल्लभ न तुटे चराचरीं । आप्त अनाप्त है ऐशी ठेवी उरी । दुरी जवळी संचिता ऐसें धरी । रंगा रंग ऐसें होणों लागे हरि वो ॥४॥
Sant Tukaram, Rigved Shenai, 2014
5
Sanmatitarkaprakaraṇa - भाग 2
... भी अनाप्त पुरुष भाक्ति बोल से कुछ भी तकावत मादा न पडने है उस के वाक्य से भी किसी को प्रवृत्ति हो नहीं सकेर्गदृ| स्न तो यह भी सच नहीं है क्योंकि प्रत्यक्ष और पत्यशाभास इन दोनों ...
Siddhasena Divākara, Jayasundaravijaya, 1986
प्राप्तका जो उपदेश उसको शब्द प्रमाण कहते हैं । यहां शव्द प्रमाण यह लक्ष्य है और आप्तोपदेश लक्षण है । यदि उपदेश मात्र को शव्द प्रमाण का लक्षण मानें तो अनाप्त शब्द में अति व्याप्ति ...
Vācaspatimiśra, Rāmaprapannācārya, 1973
7
Bhāvasena's Pramāprameya:
जागमाभास ब : अनाप्त के वाक्य आहि से उथल मिथ्या ज्ञान को आगमाभास कहते ९द्याथ कय-मके सर्य शत्यधित्याहि । प्रकृतेर्मडस्तिसोजीकारस्तर योडशक: । तस्थात्र्षर्ष पोडशकान् है ।
Bhāvasena, Vidyādhar Pasusa Joharāpurkar, 1966
8
The Mahâbhârata of Muktes'vara: (the great Marâthî poet of ...
नाहीं अछमाल ठाधुके- ।. २ " दुयोंधने कविले शादी । ते कार्य साथ ऐधिये संधी । विलंबी धालितां, (हिदी । 'अनाप्त, माते म्हणतीला ।। रे " संकेत होसांचि जछमाल है गुहीं प्रदीप्त करूँ जैनिल ।
Marathi Mukteshvar (poet), Vāmana Dājī Oka, 1893
9
Bharatiya Darshan Indian Philosophy
जो अनाप्त हैं उनके वचनों का कोई भरोसा नहीं होता; इसलिए वे प्रमाण नहीं हैं । शब्द चाहे लौकिक हो, चाहे वैदिक, यह हमेशा मौरुषेय यानी पुरुष-कृत होता है । मनुष्य और ईश्वर दोनों भी पुरुष ...
10
Mahabhishag - पृष्ठ 50
यह लोक पर है विना यह जिसे आप्त और किसे अनाप्त माने । और एक को यह मान चुका है । दूब को यह उसी नाम पर कैसे स्वीकार बनेगा .7 मुझे भय है, कवि ! तुम्हारी नई कृति के भविष्य के विषय में ...