与 «खानापीना»相关的印地语书籍
在以下的参考文献中发现
खानापीना的用法。与
खानापीना相关的书籍以及同一来源的简短摘要提供其在 印地语文献中的使用情境。
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Muria Aur Unka Ghotul (Vol-1) - Page 77
... है तो कोजी के " रे होगुदरी उपर होस ( निचली पहाडियों पर हिरन का घर है । अच्छा अधिकार खाना पीना, अच्छा (अधिकार होस / उसका खाना पीना अचल हैं, उसका यर भी अच्छा है ।
Dharmvir Bharati. ० पर हाँ, एक बात जरूर मेरी समझ में नहीं आयी । अगर आगन्तुक आमन्त्रण स्वीकार कर के भी नहीं आये तो इस में खाना-पीना छोड़ देने की क्या बात हैं ? वैसे तो आये-दिन अखबारों ...
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Hamara Svasthay Aur Gharelu Upchar - Page 102
... मान्यता है कि मिनी का (शेरा पड़ने पर चमक या जूस संताने से भी होश आ जाता है । जो खान-पान पर विशेष ध्यान देगा, उसका इस रोग से बच पाना सरल है । 'ट-यस'. होते. पर. खाना-पीना-बोलना. तक. बद.
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Bapu Ki Antim Jhanki (Gandhiji Ke Akhiri Tees Din) - ... - Page 232
ऐसी बात नहीं कि वहाँ मुझे खाना-पीना, ओढ़ना नहीं मिलेगा। वहाँ जाकर शान्ति मिलेगी। लेकिन मैं अशान्ति में से शान्ति चाहता हूँ। नहीं तो उसी अशान्ति में मर जाना चाहता हूँ।
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चन्द्रकान्ता सन्तति-3 (Hindi Novel): Chandrakanta ...
यही लौंडी पर्ायः कैिदयों को खानापीना भी पहुँचाया करती थी। कमिलनी के कैदखाने को पहले माधवी और शि◌वदत्त ने आबाद िकयाथा और उसके बाद मनोरमा इस कैदखाने में आयी थी।
देवकी नन्दन खत्री, Devki Nandan Khatri, 2012
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प्रेमचन्द की कहानियाँ - 05 (Hindi Sahitya): Premchand Ki ...
खानापीना, उठनाबैठना, मेलजोल, स्नानध्यान सब हरामहो गया। मतलब यह है िकिजस समय देिखए कोई न कोई सज्जनआए डटे बैठे हैं। जहाँकहीं बाहर जाता वहाँ भी यह बला मेरे साथसाथही रहती। एकबार ...
प्रेमचन्द, Premchand, 2014
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Aptavani-13(P) (Hindi): - Page 79
व्यवहार तुझ से नहीं चिपटा है, तू व्यवहार से चिपटा है! जिसे जल्दबाज़ी हो उसे अपरिग्रही बन जाना चाहिए। आवश्यक व्यवहार को शुद्ध व्यवहार कहा गया है। खाना, पीना, सोना वगैरह आवश्यक है।
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Jhini-Jhini Bini Chadariya - Page 68
पूरे रमजान- भर मरिजनों में रानाउडस्वीय२र भी फिट रहते है ताकि अक्रन की आवल दूर-दुर तक सुनायी पड़ सके । शाम को जो अ-जान होती है वह इस बात का संल्लेत है कि अब खाना-पीना शुरू कर देना ...
कतिपय करन हैं जहाँ कहीं दो-तीन पीढियां उ-पथ उगे नजर आती हैं, बहत श्री घर में खाना-पीना कई जगह ईट गया है-कई-कई उहे एक ही घर में देखे जा मकते हैं । हैत च बिद ने कहा, "यह अब आधिक करन से ही तो ...
घर में अब भी खाना-पीना सोक हैं नहीं हो रहा था । वरण-पत वन जाता यम । घुआजी यल/ईक दो की गोदावरी के गले के मीचे उतार देती. रात को खाना-पीना हो जाने पर घुमने ने एक केवल बिछाकर उस पर एक ...