与 «अकुशलधर्म»相关的印地语书籍
在以下的参考文献中发现
अकुशलधर्म的用法。与
अकुशलधर्म相关的书籍以及同一来源的简短摘要提供其在 印地语文献中的使用情境。
1
Aṅguttara-nikāya - Volume 1
( ८ ) "भिल, पापी-अकुशल धर्म निमित्त (य-आधार) होने से उत्पन्न होती हैं, बिना निमित्त के नहीं उत्पन्न होते : उस निमित्त को ही नष्ट कर देने से वे पापी अकुशल-धर्म उत्पन्न नहीं होते है ईई ...
Ānanda Kausalyāyana (Bhadanta), 1957
2
The Pañcappakaraṇa-atthakathā: The commentary on the ...
जाच-रेसम है-बच ब ति ति ' च ( ३ ० ) पट्ठान में आलम्ब-प्रत्यय का-विश्लेषणात्मक विवरण प्रस्तुत करते हुए दश-या गया है कि कुशल धर्म कुशल धर्म का, कुशल धर्म अकुशल धर्म का, कुशल धर्म अयाकत ...
Buddhaghosa, Maheśa Tivārī, 1972
3
Suttapiṭaka Aṅguttaranikāyapāli: Hindi anuvādasahita - Volume 1
धर्म उत्पन्न होते हों तथ उत्पन्न अकुशल धर्म विनाश के और बने लगते हों । असुओं ! ऐसा धर्म मममय जिन या विवेक) ही है । धिसुओं ! ऐसे जली या विवेकी पुरुष के अनुत्पन्न कुशल धर्म उत्पन्न ...
Dwarikadas Shastri (Swami.), 2002
4
Suttapiṭake Saṃyutanikāyapāli: Hindī anuvādasahitā - Volume 2
यह:: कोई, पीना-' मेरे अनुत्पन्न पापमय अकुशल उत्पन्न होते हुए, मेरे लिये अनर्थ के हैर न बन जार-एतदर्थ भय नहीं मानता, या ' उत्पन्न पापमय अकुशल धर्म प्रारिण न हुए तो ये मेरे लिये अनर्थ के ...
Dwarikadas Shastri (Swami.), 2000
5
Abhidhammatthasaṅgaho - Volume 2
उस श्रद्धाधर्म की अपेक्षा करके दान-आदि करते समय यदि अकुशल धर्म बढते हैं, तो वह श्रद्धा 'प्रत्यय' होती है एवं अकुशल धर्म 'प्रत्ययों-अन्न' होते हैं । उस श्रद्धा से कुशल या अकुशल कर्म ...
Anuruddha, Revatadhamma (Bhadanta.), 1992
6
Prācīna Rājavaṃśa aura Bauddhadharma
उत्पन्न अकुशल धर्म नष्ट हो जाये इस-ई लिए यत्न करना तो २७ अनुत्पन्न अकुशल धर्म उत्पन्न न हों इसके लिये प्रयत्न करन: है ३ . जो कुशल धर्म उत्पन्न नहीं है उनकी प्राप्ति के लिये प्रयत्नशील ...
Acyutānanda Ghilḍiyāla, 1976
7
Suttapiṭake Dīghanikāyapāli: Mahāvagga
... यह जो कहा है वह किस कारण कहा हो जिस रसेमनस्य को आने कि उसके है से अकुशल धर्म यड़ते हो और कुशल धर्म घटते हो वह असेश्नीय है है और जिस शोम्रनरय को खाने कि उसके है के अकुशल धर्म घटते ...
Dwarikadas Shastri (Swami.), 1996
8
Suttapiṭake Saṃyuttanikāyo: pt. 1. Khandhavaggapāḷi. pt. ...
उन्होंने इसका आशय भी स्पष्ट क्रिया जि भीतरी सायानों से बाहरी अपयतनों के संपर्क में जाकर यदि क्रिसी को बधिनकारक पापड, अकुशल धर्म उत्पन्न नहीं होते हैं, तो ये अकुशल धर्म उसके ...
Vipaśyanā Viśodhana Vinyāsa (Igatpuri, India), 1994
9
Suttapiṭake Dīghanikāyapāli: Suttapiṭaka Dīghanikāyapāli - Page 945
अमल के काय तुम्हारे वे अकुशल धर्म अकुशल धर्म हो रई । व्यसोध८जे कुशल (पुण्य) धनी-कुशल ही रहें । "नय! अत:, न तो ने अपने शिब चने सरिया यदाने के लिये र न तुम्हें उदेश्य तो ऋत दरने के लिये, ...
Dwarikadas Shastri (Swami.), 1996
कुसल-चेतना, स्वी०, शुभ-चिंतन है कुसल-धम्म, पु०, कुशल-धर्म, शेष दो हैं अकुशल-धर्म तथा संयति-धर्म । कुसल-वि., शुभ-कर्मों का फल । कुशलता, स्वी०, कुशलता । कुमा, स्वी०, नाक की नकेल । कुसि ...
Bhadant Ananda Kaushalyayan, 2008