与 «अनुक्ति»相关的印地语书籍
在以下的参考文献中发现
अनुक्ति的用法。与
अनुक्ति相关的书籍以及同一来源的简短摘要提供其在 印地语文献中的使用情境。
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Kāvyaprakāśaḥ: samīkṣātmaka ...
अनुक्तित्रय के उदा-रण इस प्रकार हैं--११४) उपमान' अपकर्ष की अनुक्ति--अतिगादगुणस्थास्य न सामर अदम:' : (१५) उपमेय' उत्कर्ष की अनुक्ति-'सत्कर्मनिरतस्यास्य नाम-(भव-गुरा गुणा: ।(१ ६)दोनों की ...
Mammaṭācārya, Śrīnivāsa Śāstrī, Haridatt Shāstri, 1967
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Sahitya Darpan Of Kaviraj Vishwanath Sampurna
इसी उदाहरण में यदि 'अकसर पथ को निकाल देन तो उपमेय के उत्कर्ष हेतु की अनुकी हो जायगी और यदि 'कलंकी, पद को छोड़ देन तो उपमा-गत अपकर्ष के कारण की अनुक्ति हो जायगी । एवं यदि दोनों ...
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कृषि विपणन योग्य आधिक्य - Page 136
कृषको से जब यह जानने का प्रयास क्रिया गया कि वर्तमान में उन्हें जो भडारण' सुविधा उपलब्ध कसई जा रही है, तो 63.54 प्रतिशत कृषक इसे अनुक्ति मानते हैं 1 जबकि मात्र 36.46 प्रतिशत कृषक ही ...
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Mahakaviśrīharṣapraṇītaṃ Khaṇḍanakhaṇḍakhādyam:
अर्थात् विशेषण की उक्ति अनुवाद से ९र्व कत्ल में उक्ति का प्रलय रहता है है अनुक्ति उक्ति का प्रागभाव ही है, वह प्रथम विशेषण उक्ति का भी रहता ही है : प्रागभाव के अप्रतिगोगी ...
Śrīharṣa, Navikānta Jhā, 1970
... उप-गत उत्कर्ष" की अनुक्ति भी ( २ रा ) केवल उपमानगत अपकर्ष हेतु की अनुक्ति में और ( के रा ) दोनों प्रकार के देसुओं की अनुक्ति में : इस चनुविध 'व्यतिरेकी में उपमानोपमेयभाव तीन प्रकार ...
Viśvanātha Kavirāja, Satya Vrata Singh, 1963
... बगुरा गुण" इस प्रकार पडने पर, उपमेयगत उत्-हेतु को अनुक्ति है : जि) 'ग्रतिपशध्यास्य न तापवदुगुगा:जि--इस प्रकार पढ़ने पर उपमानगत अप-हेतु की अनुक्ति है : (३) 'सत्कर्म-त-य न सामर-दुगुना:'--.
Mammaṭācārya, Satyanārāyaṇaśāstrī Khaṇḍūr̥ī, Gajānanaśāstrī Musalagām̐vakara, 1997
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Kavyaprakāśa - Volume 2
अपकर्ष की अनुक्ति----धिनिगाणास्थास्य न ताम-दुगुना:' । (१५ते उपमेय उत्कर्ष की अनुक्ति-पकर्मनिरतस्थास्य नश्चिवबभङ्गभूरा गुणा: । (१६) दोनों की अनुक्ति-यसत्वजनिरतस्थास्य न ...
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Kāvyālaṅkāra-sāra-saṅgraha evaṃ Laghuvr̥tti kī vyākhyā
इन निमित्त की उक्ति और अनुक्ति को लेकर पहले चार भेद किये गये । दोनों की उक्ति को लेकर एक तथा दोनों की अनुक्ति एवं एक-एक की अनुक्ति को लेकर तीन, कुल मिलाकर सबचार भेद किये गये ।
... प्रस्तुत-ध प्रत्येक, अपि द्विधा ग" प्रस्तुत की उन से एवं अनुक्ति से" 'निश-य दो प्रकार होते हैं, उक्ति व, दृष्ट-त-मभिगो' अनुक्ति में लिम्शत्रीष यजनि वर्षतीवात्म्बनं नभ:" है है यहाँ तम ...
Baladevavidyābhūṣaṇa, Haridāsaśāstrī, 1986
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Alaṅkāroṃ kā svarūpa-vikāsa
उत्तर आचार्यों ने उदय के लक्षण को आधार बनाया है है वामन अनुमती समासोक्ति: ।३३ '३ 11 उपमेय की अनुक्ति पर समान. (उपमान) का न्यास समासोक्ति है । संक्षिप्तवचन के कारण इसको ...
Shivom Tirth (Swami), 1973