与 «अंतर्गति»相关的印地语书籍
在以下的参考文献中发现
अंतर्गति的用法。与
अंतर्गति相关的书籍以及同一来源的简短摘要提供其在 印地语文献中的使用情境。
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Bhāratēndu-grantāvalī: Bhāratēndu Śrīhariścandrajī kē ... - Volume 1
हमारी वासना सत्य है तो अंतर्गति जाननेवाली स-तीकू-ल-सरोजिनी भगवती भवानी हमारी भावना अवश्य पुर्ण करेंगी । मन बच कर्म से जो हमारी भक्ति पति के चरणारविद में है तो वे हमको अवश्य ...
Hariścandra (Bhāratendu), Braj Ratan Das, 1950
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Bhāratendu yuga kī śabda sampadā - Page 148
स- 1 हैं 3 0 1 विसर्ग के व/ में परिवर्तन वाले शब्ददुर्गति अंजन प्रादुर्भाव दुर्घटना निविष्ट अंतर्गति निर्मल निर्धन दुर्दशा निर्मित दुर्भाग्य निर्बल नि-द-मित दुर्गन्ध पुनविवाद ...
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Padmākara: Āndhra-Pradeśa Sāhitya Akādemī kī ora se ...
प्रकाशन का माध्यम-स-जरिया क्या है ? क्या भई की भौगोलिक सीमा के अंतर्गति और क्या भरत के बारे में लिपी हर चीज भारतीय पद्माकर ५७ भारतीय साहित्य और हिन्दी है अनुवाद-माध्यम के ...
Shri Ram Sharma, Āndhra Pradēśa Sāhitya Akāḍami, 1965
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Pichale dinoṃ naṅge pairoṃ
... तो मैं अपनी अजब के लिए पहले से ही क्षमा माँग लेता हैं, अस्तु है ये सारी कविताएँ एक ही मानसिकता तथा एक ही रचना-मधि के अंतर्गति लिखी गयी हैं, स्वरूप में चाहे स्वतंत्र लगे परन्तु ...
5
Lokadr̥shṭi aura Hindī sāhitya
... गुर छायावाद (बहिरंतर्गति) है ( ता मांधीवाद (अंतर्गति) है क्योंकि "प्रगतिवादी युग में अशनम्बसन की चिता से निश्चित हो जाने पर मन की रागात्मक समस्याओं में फिर किसी छायावाद ...
6
Sūra-vimarśa: āgamika cintana ke āloka meṃ
नेन सादे अंतर्गति ध्यान । हृदयकमल में जताते प्रशासी । सोइ अथ अविगत अविनाशी । इहि उपाइ बिरहा तुम तांरेहौ । जोगप"थ क्रम-क्रम अनुसना । वच: मध्यकाल में आगम' और 'भागवत' के प्रभाव में ...
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Rāshṭrīya svādhīnaṭā aura pragatiśīla sāhitya
... प्रायोगिक कथ्य को केदारनाथ ने काव्य के कलेवर में बाँधा है : सामन्तवाद को खर्च कर गाल बजाती नई सभ्यता का चित्रण देखिए'वार पारावार बारम्बार पाकर अब न तार सितार बने लीन अंतर्गति ...
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Bhāratabhūshaṇa Agravāla: kucha yādeṃ, kucha caracāeṃ - Page 96
गिरि-शैलों को फोड़-फोड़ कर प्रकट हो रहा है जो निर्भर हम-तुम भी दो बिदु उसी के, कयों न फूट निकले हम बाहर 1 आओ, हम अपनी सारा को खोजें, पाये, गति की अंतर्गति बनने को यहीं एक पथ है ...
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Hindī bhāshā kī boliyoṃ kā antarsambandha - Volume 1 - Page 100
... द्विवेदी युग की रचना और आलोचना को देख लीजिये, छायावाद की रचता और आलोचना को देख लीजिये, इन सभी धाराओं में धर्म, दर्शन और विज्ञान की विकासमान अंतर्गति दिखाई देती है ।
Saroja Kumāra Miśra, 1996
10
Bhramaragīta kā viśleshaṇa aura mūlyāṅkana
नैन मूकीद अंतर्गति मयावो 1: ह्रदय कमल में जाय प्रकाश) : सो अयुत अविगत अविनाशी 1: आहि प्रकार विषम तम तरिये है योगपंथ क्रम कम अनु-रये ' 1: . म 'सूरसागर, ८ याँ पद, पृ० ७०५ अंत-साधना के ...