ЩО विरह ОЗНАЧАЄ У МАРАТХІ?
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Визначення विरह у маратхі словнику
Virah-Pu 1 відключення; Прощай; Відстань (друг, дорога- Від людей) "Важка спека була зроблена у формі панди". -Туга 131 2 дисфункціональний горе; Живіт, що викликає біль, Гур- Hur; Неспокійний 3 сорти; Брак; Відхилення [No] .Jawar-Pu. Virah- Вкорінене тепло; Звучить сумно. Шумно Ізольований ортопед; Вогнище тіла "Офіцер Вірхунлу. З'явиться Удавату ". - дитина 77 9 Вір- Королеви Чоловік або колега "Вір- Як мед Валлафенас. Мудрість 13.374 Вірух-Пу 1 Пісня кохання Без 2; Різноманітність, житло. विरह—पु. १ वियोग; ताटातूट; दूरीकरण (मित्र, प्रिय-
मनुष्य यांचा). 'विरह तापें फुंदे छंद करित जाती ।' -तुगा
१३१. २ वियोगजन्य दुःख; ताटातुटीमुळें होणारी पीडा, हुर-
हुर; बेचैन. ३ वाण; अभाव; रहितता. [सं.] ॰ज्वर-पु. विरहा-
मुळें येणारा ताप; वाटणारें दुःख. विरहाग्नि, विरहानल-न.
वियोगजन्य शरीरदाह; विरहामुळें होणारी शरीराची आग.
'अधिका विरहोनळु । उधावतु दिसे ।' -शिशु ७७९. विर-
हिणी-स्त्री. पति अथवा वल्लभाचा वियोग झालेली स्त्री. 'विर-
हिणी कां जैसी । वल्लभातें ।' -ज्ञा १३.३७४. विरही-पु. १
प्रियेचा वियोग झालेला. २ विहीन; वाण, राहित्य असलेला.
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10 МАРАТХІ КНИЖКИ ПОВ'ЯЗАНІ ІЗ «विरह»
Дізнайтеся про вживання
विरह з наступної бібліографічної підбірки. Книжки пов'язані зі словом
विरह та короткі уривки з них для забезпечення контексту його використання в маратхі літературі.
1
Kavi Aur Kavita: - पृष्ठ 32
मतों का निचोड़ आ गया है जो महादेवीजी की वेदना पर विश्वास नहीं करते अथवा जिन्हें इस बात का निदान नहीं मिला है कि आदमी दर्द के घेरे और विरह की अं'धि से निकलकर बाहर जाना क्यों ...
Ramdhari Sinha Dinkar, 2008
'रसखान' में तो कवि ने विरह की दश दशाओं का क्रमबद्ध चित्रण किया हैं१ । इसमें कवि ने रम्भा के विरह की एकाएक अवस्था का पृथक-पृथक वर्णन किया है । नंददासकूत 'रूपम-जरी' में तो नायिका ...
Dr Shyam Manohar Pandey, 2007
3
Kabeer Granthavali (sateek)
जा व्याख्या-विरह रूपी अर्ष ने यस के अन्दर प्रवेश करके दिल में धाब कर दिया है । साधु अपने अंगों को मोड़ता नहीं बल्कि भी को पुती तरह से यह दे देता है कि बह सोत्ध्यासार यसिंर को खा ले ...
Ed. Ramkishor Verma, 2005
4
Hindi Gitikavya Parampara Aur Miran - पृष्ठ 162
पेम की चरम परिणति विरह में होती है । वियोग पेस का तप्त स्वर्ण है । पेस का परिपूर्णता, घनीभूत वियोग पीडा में ही माना गया है । यह भी कहा गया है नाके विश्व के सर्वाधिक सफल और अमर ...
आगे राजा के योग के प्रभाव से पद्मावती प्रेम वश में होकर विरह का अनुभव करती है । यद्यपि यह वर्णन अत्युक्ति और अतिरंजना के रूप में प्रस्तुत हुआ है, पर इसके माध्यम से प्रेम की ...
विरह-वर्णन संदेश-रासक का मुख्य विषय है । यह विरह-वर्णन नायिका द्वारा पथिक के माध्यम से संदेशप्रेषण के रूप में किया गया है । विरहिणी पथिक द्वारा अपने दारुण विरह-विवरण को पति के ...
Hazari Prasad Dwiwedi, 2003
7
Anchhue Bindu - पृष्ठ 145
एक संयत ऐसी जाती है कि जी दूने लगता है, इतने में एक संक ऐसी जाती है जो विरह से नील हुई लती है । एक क्षण सारा रक्त जैसे पी लिया जाता हैं दूसरे क्षण विरह के ताप से चेहरा एकदम दीप्त हो ...
8
Madhyayugīna Hindī bhakti-sāhitya meṃ viraha-bhāvanā
V. N. Philipa. सूरदास का श्रृंगारिक वर्णन, सूर का संयोग श्रृंगार वर्णन सूर का विप्रलंभ श्रृंगार वर्णन २३९भ्रमरगीत परम्परा और सूर का भ्रमरगीत भ्रमर गीत और विरह निवेदन २४७सूर के विरह ...
9
Charitani Rajgondanaam - पृष्ठ 227
अत्-धिक पेम में विरह मिलन की विलक्षण दशा को समझने के लिए गुरू हरिवंश जी ने तोवि२क पेम का उदाहरण देकर यल वाणी में दो डालिये' लिखी हैं । इन कुण्डलियों में संसार में यह दो वनों के ...
वे एकात्म साधनापूबीक अपने में ही अन्ततोगत्वा अपने प्रिय को रहने की बात करते हैं ।१ सन्त हैदर अपने आध्यात्मिक प्रियतम की विरह में आकुल हैर अपने दुर्भाग्य को अंसिंते हैं३ तो कभी ...
Yogendra Pratap Singh, 1972
НОВИНИ ІЗ ТЕРМІНОМ «विरह»
Дізнайтеся, що обговорювала національна та міжнародна преса, і як термін
विरह вживається в контексті наступних новин.
महादेवी वर्मा की विरासत
संगीता सारस्वत की 'सैलाब' को पढ़ते हुए करुणा की प्रेरणा और विरह की वेदना गहरे तक महसूस होती है। ऐसा लगता है कि तीनों कवयित्रियां महादेवी वर्मा की आदर्श विरासत को संभाल रही हैं। काल के व्यवधान ने इनकी रचनाओं में शैली का कुछ अंतर जरूर ... «Dainiktribune, Жовтень 15»
कीर्तन भगवान को प्राप्त करने का एकमात्र साधन
चौमू | शहरके रींगस रोड रतनदेवी एज्यूकेशन समिति के तत्वावधान में तथा हाड़ौता अंजनी हनुमान धाम के हरिकृष्ण दास महाराज के सान्निध्य में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कथावाचक अमित शास्त्री ने श्री कृष्ण लीला रास, गोपियों का विरह ... «दैनिक भास्कर, Жовтень 15»
राम के विरह में दशरथजी ने त्यागे प्राण
उसके माता-पिता ने उन्हें पुत्र विरह में प्राण त्यागने का शाप दिया था। राजा यह बात बता ही रहे थे कि मंत्री सुमंत श्रीराम, सीता और लक्ष्मण को गंगा पार छोड़कर वापस महल में आ गए। जैसे ही दशरथ को पता चला कि श्रीराम लौटकर नहीं आए हैं, उन्होंने ... «दैनिक भास्कर, Жовтень 15»
मीराबाई के चरित्र का चित्रण
उन्होंने कहा कि मीरा बाई की श्रीकृष्ण के प्रति अटूट श्रद्धा थी। इसी कारण मीरा बाई ने लोक लाज को त्याग दिया था और प्रभु की भक्ति में लीन हो गई थी। इस दौरान नाटक के माध्यम से मीरा बाई को भगवान श्रीकृष्ण के विरह में व्याकुल दिखाया गया। «दैनिक भास्कर, Жовтень 15»
नाथ आजु मैं काह न पावा, मिटे दोष दुख दारिद दावा
तनु परिहर रघुरवर विरह राउ गयेऊ सुरधाम।। उनके मृत्यु का समाचार सुनकर रानियां विलाप करने लगीं। इसके बाद गुरु वशिष्ठ जी आकर भरतजी को ननिहाल से बुलाते है। भरतजी अयोध्या में प्रवेश करते हैं तो कोई कुछ नहीं कहता है और वह समझ जाते हैं कि कुछ ... «दैनिक जागरण, Жовтень 15»
छात्रावास के नाम खूब सजी शाम
काठियावाड़ी गीत लाड़की की प्रस्तुति ने पिता बेटी की विरह वेदना का उजागर किया। टीचर्स के सम्मान में बहती हवा सा था वो.... नृत्य के माध्यम से प्रस्तुति दी गई। बच्चों ने शास्त्रीय, पाश्चात्य, बॉलीवुड, कव्वाली, मणिपुरी, पंजाबी, राजस्थानी, ... «दैनिक भास्कर, Жовтень 15»
गलती सुधारने का महामंत्र आत्मावलोकन
उन्होंने रामचरित मानस का संदर्भ देते हुए लक्ष्मण को शक्ति वाण लगने के उपरांत राम के विरह वेदना की चर्चा करते हुए कहा कि अपनों को जब कष्ट होता है तो उसका एहसास उससे भावनात्मक रुप से जुड़े व्यक्ति को अपने-आप हो जाता है। बौद्धिक क्षमता पर ... «दैनिक जागरण, Жовтень 15»
सफलता के बाद संयम जरूरी
किष्किंधा कांड में श्रीराम सीताजी से विरह के क्षणों में लक्ष्मण से चर्चा कर रहे हैं। वे मनुष्य जीवन में होने वाली घटनाओं का प्रकृति के आधार पर चिंतन करते हैं। श्रीरामचरितमानस में कुछ पंक्तियां ऐसी आई हैं, जिन्हें लेकर लोग ... «दैनिक भास्कर, Жовтень 15»
यशोदा के िवरह से आंखें नम हो उठीं
श्री कृष्ण रुक्मिणी विवाह और कंस वध आदि प्रसंग का अत्यंत मार्मिक तरीके से विवेचन किया। छोड़कर काना कैसे जियेंगे हम...भजन के द्वारा गोपियों और यशोदा माता के विरह का ऐसा चित्रण किया कि वे स्वयं अश्रपूरित हो गई। यदि संस्कार अच्छे हो तो ... «दैनिक भास्कर, Жовтень 15»
लक्ष्य प्राप्ति का साधन हैं शास्त्र
मनुष्य को लक्ष्य पर पहुंचने के लिए कई तरह के साधन अपनाने पड़ते हैं। आध्यात्मिक माध्यम का एक लाभ है कि वे हमारी भौतिक यात्रा में भी काम आते हैं। श्रीराम सीताजी के विरह में थे और उनके संग थे भाई लक्ष्मण। दुख की घड़ी में भी श्रीराम अपने ... «दैनिक भास्कर, Вересень 15»