ЩО चातुरी ОЗНАЧАЄ У ГІНДІ?
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Визначення चातुरी у гінді словнику
Тактична іменник жінка [0] 1 Розумність Розумність Порушення поведінки 2 Розумність Лукавий चातुरी संज्ञा स्त्री० [सं०]
१. चतुरता । चतुराई । व्यवहारदक्षता ।
२. चालाकी । धूर्तता ।
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10 ГІНДІ КНИЖКИ ПОВ'ЯЗАНІ ІЗ «चातुरी»
Дізнайтеся про вживання
चातुरी з наступної бібліографічної підбірки. Книжки пов'язані зі словом
चातुरी та короткі уривки з них для забезпечення контексту його використання в гінді літературі.
रवि तनया तन या पै पियत सराहि ।।४ रहीम के द्वारा भी 'विद-' नायिका की क्रिया-चातुरी एवं वचन-चातुरी का यथार्थ निदर्शन हुआ है । बारप्यार दीपक जलाने बाहर जाने वाली और घर में सासु ननद ...
2
Jayapura kī Saṃskr̥ta sāhitya ko dena, 1835-1965 Ī
... भी उसी प्रबतर एक समस्या है 'विना चातुरी चातुरी" ( इसको पुर्ण करने वाले दोनों पद्य आपकी विद्वता को प्रकट करते हैं [स-"विद्या [ नन्यसमाजिता यदि जि: कांसे सं-जिर, विश-ई चाष्यनपाधि ...
3
Shree Ramcharit Manas (Ayodhyakand)
सपत्नीक ईव को अजित करने के लिए कौसल्या के लिए 'देखत गरब रहत उर पहन' एवं दशरथ की कपट चातुरी के लिए 'जानह हद बस नाह तुम्हारे तथा लखहु न भून कपट चतुराई' वाकयों का प्रयोग कवि द्वारा कराया ...
Dr Yogendra Pratap Singh, 2007
4
Shree Haricharitramrut Sagar Hindi Part 08: Swaminarayan Book
सोरठा : विद्या चातुरी जेति, बुद्धि रहैउ जितनी जेहि । । सिखत रहोथे त्तेति, निष्पब्ल देख परै अव । ।२७ । । विद्या चातुरी ताके, परम पल्ला इतना रहैउ । । सत्संग यह वाके, समागम करना भाव कर । ।२८ ।
Swaminarayan Saint Sadguru Shree Adharanandswami, 2011
(मेरी चातुरी ते अपनी चातुरी कों मिलन कै के अपनी चातुरी की तू अधिक वाराह चाहत है) (और भेउ (अंतर की बात) नहीं भानतिजिदति) ९ ( : ० ) (सखी कों बचन सखी सं) (देखो, कैसी चातुरी ते यह दोऊ ...
6
Rāsavilāsah̤: Saṃskr̥ta-gītikāvyam
व्यसमये वदन" नुविमुदितए है अवसर- विगमथ्य गरीयसी अति या सखि सा किमु चातुरी ।।५५१: अन्वय-पय 'सरस्वति ! त्वया अपि असमये बल वदन" विज विमुदितब । हे सखि ! अवसर विलय या गरीयसी चातुरी पति ...
Sadānanda ((Son of Dāmodara)), Pārthasārathi Ḍabarāla, 1998
7
Śrīpāda Śāstrī Hasūrakara, vyakti evaṃ abhivyakti - Page 196
उसके औदार्य से स्वदेशी धाय हो जाते हैं तथा शौर्य से शत्रु कम्पित हो जाते हैं । शौर्य शिवराज के चरित्र में जितनी मात्रा में विद्यमान है उतनी ही उसमें राजनीतिक चातुरी भी है ।
Kedāranārāyaṇa Jośī, 1994
8
Sāhitya-laharī: Sūradāsa-kr̥ta. Sañjīvanī vyākhyā sahita
सूरदास जी कहते हैं कि सादी कहती है कि राधा जी ने श्याम सुन्दर कृष्ण को सूव्यालंकार और क्रिया-चातुरी से अपने हृदय के भाव को समझा दिया । यह: नायिया ने गलियों में आने का कृष्ण ...
Sūradāsa, Manmohan Gautam, 1970
9
Panchatntra Ki Kahaniyan - Page 113
चातुरी. किसी पर्वत प्रदेश में मन्दविष नाम का एक वृद्ध सर्ग रहा करता य.: एक दिन वह बियर वने लगा क्रि ऐसा यया उपाय हो सकता है, जिससे बिना परिश्रम किए ही उसकी अ/जीविका चलती रहेगी उसके ...
10
Sanskrit-Hindi Kosh Raj Sanskaran - Page 1281
चातुर: [ चतुर एव, स्वार्थ अणु ] एक जिया गावदुम तकिया ।. जाग्रत (वि०) [ चतुरता-अणु ] चारों समुद्री तक समस्त पृथ्वी को अधिकार में करने वाला । चातुरी-: [चातुरी-मपा 1- हस 2, एक प्रकार की बत्तख ...
НОВИНИ ІЗ ТЕРМІНОМ «चातुरी»
Дізнайтеся, що обговорювала національна та міжнародна преса, і як термін
चातुरी вживається в контексті наступних новин.
महाराष्ट्र में लिखी जा रही है भारतीय राजनीति की …
लेकिन, जल्दी ही यह हुआ कि महाराष्ट्र में कांग्रेस का नेतृत्व पवार की कांग्रेस को बैसाखी की तरह इस्तेमाल करने लगा. इससे पवार-कांग्रेस की हैसियत बढ़ी. इसके बाद कांग्रेस की राजनीति शरद पवार को पर्दे के पीछे कर, उनका लाभ उठाने की चातुरी में ... «प्रभात खबर, Жовтень 14»
Hindi poet and Bal Krishan devotee Surdass`s birthday is today
साथ ही उनमें कृष्ण जैसी गंभीरता और विदग्धता तथा राधा जैसी वचन-चातुरी एवं आत्मोत्सर्ग की भावना भी थी। काव्य में प्रयुक्त पात्रों के विविध भावों से पूर्ण चरित्रों का निर्माण करते हुए वस्तुत: उन्होंने अपने महान व्यक्तित्व की ही ... «Patrika, Травень 14»
महाकवि सूरदास
साथ ही उनमें कृष्ण जैसी गम्भीरता और विदग्धता तथा राधा जैसी वचन-चातुरी और आत्मोत्सर्गपूर्ण प्रेम विवशता भी थी। काव्य में प्रयुक्त पात्रों के विविध भावों से पूर्ण चरित्रों का निर्माण करते हुए वस्तुत: उन्होंने अपने महान व्यक्तित्व की ... «दैनिक जागरण, Травень 13»
हिन्दुस्तानी के लेखक प्रेमचंद
अगर इस आर्दश को हम अपने सामने रखें तो लिखते समय भी हम शब्द चातुरी के मोह में न पड़ेंगे। एक धर्मनिरपेक्ष लेखक में ही यह शक्ति हो सकती है कि वह हर तरह की संकीर्णता को नकार कर उन्हें डांट पिला सके। प्रेमचन्द हिन्दी को संस्कृतनिष्ठ बनाकर शुद्ध ... «विस्फोट, Серпень 11»
जब बाली निरुत्तर और श्रीराम भी निरुत्तर
बाढ़हि असुर अधम अभिमानी।। तब तब प्रभु धरि बिबिध सरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा।। बाली का समाधान हो गया। वह निरुत्तर हो गया। तब उसने श्रीराम से निवेदन किया : सुनहु राम स्वामी सन, चल न चातुरी मोरि। प्रभु अजहूं मैं पापी, अन्तकाल गति तोरि। «नवभारत टाइम्स, Листопад 08»