«ईक्षित» தொடர்புடைய இந்தி புத்தகங்கள்
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ईक्षित இன் பயன்பாட்டைக் கண்டறியுங்கள்.
ईक्षित தொடர்பான புத்தகங்கள் மற்றும் இந்தி இலக்கியத்தில் அதன் பயன்பாட்டுச் சூழலை வழங்குவதற்கு அதிலிருந்து பெறப்பட்ட சுருக்கமான சாரங்களைத் தொடர்புபடுத்துகின்றன.
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Nyāyakusumāñjaliḥ: bhāsānuvādasahitaḥ
प्रत्यक्ष तथ, परोक्ष के द्वारा ईक्षित पदार्थ के प्रयोजनभूत होने के कतरन बह शाख लोक में आ-स्वीक्षिकी विद्या के नाम से प्रसिद्ध हुआ : वास्थायनभाष्य के अनुसार प्रत्यक्ष और अ-गम के ...
Udayanācārya, Durgādhara Jhā, 1973
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Sanskrit-Hindi Kosh Raj Sanskaran - Page 194
(ध्या० पर०) (ईक्षते, ईक्षित) 1- देखना, ताकना, आलोचना करना, अवलोकन करना, टकटकी लगा कर देखना या घूरना 2. खयाल रखना, विचारना, समसाना --सर्वभूतस्वमात्मानं ब . " . चक्षते योगयु-तात्या -भग० ...
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भारतीय मनोविज्ञान - Page 182
षा च । (अथर्ववेद 1.34/31 अर्धात्मन एवं चक्षु से अव को जाती है । आशय है किं, मन द्वारा ईक्षित का चक्षु से और चक्षु द्वारा (क्षित का मन से अवस्था होता है । इस प्रकार सभी अमन का प्रेरक मन ...
Narayan Shastri Dravid, Rājeśa Kumāra Caurasiyā, Akhila Bhāratīya Darśana-Parishad, 2007
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Smṛti material in the Mahābhārata: being a collection of ...
मध्ये वयसि निर्दोंषान् हिते युक्तान् जितेन्दियान् । । 44 . शान्ति १२०।२५ ।। कृतज्ञ, दृढभक्ति: स्थात्संविभागी जितेन्दि य: । ईक्षित: प्रतिवीक्षेत मृदु चहुँ च वस्मृ च ।। शान्ति ६७ ।३८ ।
Sures Chandra Banerji, 1972
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Kalama de dhanī - Volume 2
छिठा पीभगार तरा[ | ] मेस [मंचिरार्वमेते बपंभाठ हँहोब्ध जो स्थिर रार्गने तितोई से प्रज्जरापर री रहे असार वराम्धिथार री | ईक्षित जो भरापर थापकधिर तुट रसे तरसे ऐरे,ठे छितुड़े ठर्शभी ...
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Śrīmadbhaṭṭākalaṅkadevapraṇītasya ... - Volume 2
... तत्साधने १ लवाई: इति । कै: १ इत्याह-असगीधित्स्तार्षबाजै: असमी-हिरनों विपरीतारोपनिररेन न सम्यए ईक्षित: ताम्-वाजै: प्रतिभास-लक्षणों बै: तै:, असौ: इत्यर्थ: । की कृत्वा पी आधिक्य ।
Anantavīryācārya, Mahendrakumāra Jaina, 1959
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Dakshiṇa Bhārata kā itihāsa - Page 45
... विद्याधर, भूत, गन्धर्व, किन्नर, चन्द्र, सूर्य, नक्षत्रों तथा) यहीं द्वारा ईक्षित (देखे गए) अपरिमित, अक्षय, अचिंत्य और अदभुत युद्धों में सबसे आगे रहकर रिपुओं के संघ को जीतने (अर्थात् ...
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Nyāyavārttika: Nyāyasūtra tathā Vātsyāyana bhāshya sahita - Volume 1
प्रत्यक्ष और आगम के आश्रित अनुमान है वह आभवीक्षा (पुनर्विचार) है-प्रत्यक्ष और आगम द्वारा प्रदर्शित (ईक्षित) अर्थ का पुनर्विचार ही संवीक्षा है, उससे जो प्रवृत्त होती है वह ...
Uddyotakara, Śrīnivāsa Śāstrī, 1986
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Saṃskr̥ta-Gujarātī vinīta kośa
... कालजी ईक्षा स्वी० दृष्टि; नजर (२) अवलोकन; विचारणा ईक्षिका स्वी० दृष्टि ; नजर ( २ ) आंख ईक्षित ( 'रित भू० कृ० ) वि० जोवायेलु; अवलीकायेर (२ ) न० दृष्टि (३ ) आँख ईद २ आ० स्तुति करबी: प्रशंसा ...
Gopaldas Jivabhai Patel, 1962
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Kavi mata maṇḍaṇa: vistr̥ta jīvanī aura anya ajñāta ...
( इ ) इभ अह हाथी इलकाब अंड उपाधि ( ई ) ईख व--- ईक्ष्य, देखकर ईछियौ =न्द्र ईक्षित, देखा ईद वाह बराबरी, प्रतिस्पर्धा ( उ ) उकाब वाय युक्ति, तरकीब उब अदा यता, उत्कर्ष उझल्लरे =न्द लहर, हिलते उमंग ...
Bāṅkīdāsa, Śaktidāna Kaviyā, 1983