«अश्वतर» தொடர்புடைய இந்தி புத்தகங்கள்
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अश्वतर இன் பயன்பாட்டைக் கண்டறியுங்கள்.
अश्वतर தொடர்பான புத்தகங்கள் மற்றும் இந்தி இலக்கியத்தில் அதன் பயன்பாட்டுச் சூழலை வழங்குவதற்கு அதிலிருந்து பெறப்பட்ட சுருக்கமான சாரங்களைத் தொடர்புபடுத்துகின்றன.
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Harshacaritam (Vol. 1) 1-4 Uchhwaas
कुवलयाश्य ने भूजगलीक [पाताल, लम्पट लोगो] के आश्रय से अश्वतर की कन्या [नाप-न्या, खच्चर.] तक भी समदृज्यत है सौदासेन नरक्षिता पर्याकुलीकृता क्षिति: है नलमवक्षाक्षहृदयं ...
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Vy−akaraṇa-darʹsana meṃ Advaita-vimarʹsa
अतिशय गुणजनित होता है | वह] पार काण, गंर अश्व जैसे श-व्यग रोकने गुणवर्ग मे लेकर तर-तम प्रत्ययों की टयवस्चई की गई है जैसे, गोतर अश्वतर कष्णतम आदि है उसी सन्दर्भ में गुण को जाति और ...
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Bhāratīya saṅgīta kā itihāsa
प्रमाणाभाव से स्थापित नहीं किया जा सकता ।१ गान्धर्व के आचार्यों में नारद तथा तुम्बरू के अतिरिक्त कम्बल तथा अश्वतर का उल्लेख इस पुराण में प्राप्त होता है ।३ सरस्वती की आराधना ...
Śaraccandra Śrīdhara Prāñjape, 1969
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Bhāratīya saṃskr̥ti meṃ vanaspatiyām̐
अश्वतर को पुन करने वर इच/रप-तीय विधान है है तथा यरामाधिग्रस्र है रहैक/तिक परम्पराओं में अश्वतर के वृ-जन परिकन स्तुति आदि को धामिक पधा है प्रचलित पैर जो अश्वत्य के भी पुरातन आस्था ...
Dr. Gyanendra Pandey, Sumitra Pandey, 1997
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Caraka saṃhitā meṃ saṃskr̥tika sāmagrī kā adhyayana
नकुल और सहदेव अश्वविद्या के पंडित थे१ये : अश्वतर (() खादर के मांस का, मांस वर्ग में उल्लेख है१४ । अश्वतर का उल्लेख अथर्ववेद में और उसके बादअधिक मिलता है । वे शक: खींचते थे१प। पतंजलि' ९ ...
Rādhārānī Upādhyāya, 1981
... को नहीं अश्वतर को, चित्रित करता है है निश्चित हर सामान्य "अश्वतर में किसी एक विशिष्ट "अश्व" की अपेक्षा अधिक अर्थ होता है है अधिक अर्थ के साथ ऊजो भी अधिक होती है | अतएव अश्वतर का ...
Haradvārī Lāla Śarmā, 1975
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Śrīdattopāsanākalpadruma - Volume 1
सरस्वती-वी प्रसन्न झाली व म्हणाली, अ' तुला जे कांहीं पाहिजे असेल तें य.१न ये हैं, यावर अश्वतर नाग म्हणाला, अ' हे देवी, शंकर प्रसन्न व्याहावेत म्हणुन गायन करावयाकी अहि तरी मला व ...
Pandurangashastri G. Goswami, 1977
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Prācīna Bhārata meṃ nagara tathā nagara-jīvana
इनमें मतिष्ठति, कम्बल एब अश्वतर वह उल्लेख पहले हत किया जा चुका है । महाभारत के अनुसार मोगवती वशे-हद के उत्तर में स्थित था । इसमें यहीं का अनुमान एवं वैदिक मनों यह उकवरण निरन्तर हुआ ...
Udaya Nārāyaṇa Rāya, 1998
... नाम नाग है ---------- ------- वै%: श्रीमद्भागवत भाषा-स्कन्ध c५ अ० २५ कैंर्ड ( ४६५) |. और महाकुलिश, महाशंख, धनत्रय, धृतराष्ट्र, शंखचूड, कम्बल अश्वतर और देवहत ि ( ४६४ ) कैंर्ड शुकसागर कैंर्ड.
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Śrīkānta Varmā racanāvalī - Volume 2
है जिसमें प्रेम के वहार सेक्स की पराजयगारया बुनी गयी र्वहलेग्र| यडो रत्तनावली में इस अकेले उपन्यास के अलावा दो अपर उपन्यास अश्वतर (]पपुहा और था पैजा/ को भी शामिल किया गया !चरर्व| ...
Śrīkānta Varmā, Aravinda Tripāṭhī, 1995
«अश्वतर» வார்த்தையைக் கொண்டுள்ள புதிய உருப்படிகள்
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अश्वतर என்ற வார்த்தையைப் பயன்படுத்துவது பற்றியும் எப்படிப் பயன்படுத்துவது என்பதைப் பற்றியும் தேசிய மற்றும் பன்னாட்டு அச்சகங்கள் என்ன பேசியிருக்கின்றன என்பதைக் கண்டறியுங்கள்.
पंचमी आज : भाई पीटेगा गुड़िया, बहना गाएगी गीत
अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शखपाल, कालिय, तक्षक और पिंगल । ये बारह नाग एक-एक महीने के स्वामी हैं। इनकी पूजा इनके नामों से आज करने से सर्प, विष, शत्रु कालसर्प दोष आदि से तत्काल मुक्ति मिल जाती है। नाग गायत्री ... «दैनिक जागरण, ஆகஸ்ட் 15»
नाग-संस्कृति के स्मरणीय आख्यान
इनमें शेष, वासुकि, कर्कोटक, तक्षक, धृतराष्ट्र, धनंजय, महानील, अश्वतर, पुष्पदंत और शंखरोमा जैसे प्रबल एवं महनीय राजा हुए। नागों के राज्य सीरिया, कोचारिस्तान, हसन अब्दाल, पाताल, अबीसीनिया और तुर्कीस्तान तक फैले थे। तुर्कीस्तान नागों की ... «Dainiktribune, மார்ச் 15»
आलेख : नागपंचमी पर अब नहीं दिखता कुश्ती-कबड्डी
वैसे नाग के कई नाम हैं, जैसे शेष यानी अनंत, बासुकि, शंख, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अश्वतर, घृतराष्ट, ऊ शंखपाल, कालिया, तक्षक और पिंगल इन बारह नागों की बारह महीनों में पूजा करने का विधान है। जो भी कोई नाग पंचमी को व्रत करता है उसे शुभ फल मिलता है। «आर्यावर्त, ஆகஸ்ட் 14»
मध्यप्रदेश के इस नगर में हुआ था नागदाह यज्ञ
इन नागों में शेषनाग, वासुकि, कर्कोटक, शंख, ऐरावत, कम्बल, धनंजय, महानील, अश्वतर, पद्म, तक्षक, एलापर्ण, महामद्म, धृतराष्ट्र, बलाहक, शंखपाल, महाशंख, पुष्पदंष्ट्र, शंकुरोम, बहुल, वामन, पाणिनी, कपिल, दुर्मुख व पतंजलि हैं। नागों से जुड़े हैं त्रिदेव व ... «Nai Dunia, ஜூலை 14»
शिव पूजा के समान है नागपंचमी को नाग पूजा
नाग के कई नाम हैं जैसे शेष यानी अनंत, बासुकि, शंख, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अश्वतर, घृतराष्ट, ऊ शंखपाल, कालिया, तक्षक और पिंगल इन बारह नागों की बारह महीनों में पूजा करने का विधान है। जो भी कोई नाग पंचमी को व्रत करता है उसे शुभ फल मिलता है। इस दिन ... «नवभारत टाइम्स, ஆகஸ்ட் 13»
नाग पूजन : उद्भव और विकास
विष्णु पुराण में शेष, ऐलपाल, अश्वतर, कर्कोटक धन्वन्तरी नागों की माता कश्यप की दूसरी पत्नी सुरसा को माना गया है। भविष्य पुराण में देवकोटि वाले नागों के नाम हैं :अनन्त, वासुकी, शेष, पद्म, कम्बल, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिय, तक्षक, ... «Dainiktribune, ஜூலை 12»