एक हालिया केस स्टडी में कबूतर की बीट और पंखों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से होने वाले हेल्थ रिस्क के बारे में बताया गया है. इससे गंभीर बीमारी होने का खतरा रहता है.
हड्डियों को हेल्दी रखने के लिए, शरीर को कैल्शियम और फास्फोरस को अवशोषित करने के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है. हमारा शरीर भोजन से कैल्शियम को ठीक से अवशोषित करे, इसके लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी का होना जरूरी है.
कॉग्निटिव टेस्ट में यह मापा जाता है कि किसी का दिमाग कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है. ये टेस्ट किसी बीमारी के बारे में नहीं बताते हैं लेकिन यह संकेत दे सकते हैं कि आगे टेस्ट किसी तरह के टेस्ट या इलाज की जरूरत है या नहीं.
इस ऐप को विकसित करने के लिए पीजीआई ने लिवर कैंसर के 2000 और ओरल कैंसर के 2500 मरीजों का डेटा जुटाया है. 15 से 20 हजार डिजिटल इमेज भी बनाई गई हैं. इन्हीं इमेज और डेटा का एआई आधारित ऐप विश्लेषण करेगा.
कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (CSI) ने हाल ही में, डिस्लिपिडेमिया (High Cholesterol) मैनेजमेंट के लिए अपने पहले दिशानिर्देश जारी किए. युवा भारतीयों में हार्ट अटैक से हो रही मौतों को देखते हुए यह कदम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.
नींद में चलने की बीमारी(Sleepwalking) को स्लीपवॉकिंग या सोमनाबुलिज्म(Somnabulism) कहते हैं. स्लीपवॉकिंग एक साइकोलॉजिकल बीमारी है. आमतौर पर ये बीमारी बच्चों में होती है. हालांकि स्लीपवॉकिंग किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है. नींद में चलने की बीमारी को कैसें दूर करें. जानिए स्लीपवॉकिंग के बारे में पूरी जानकारी.
दुनियाभर में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ये कैंसर भारत के लगभग 10 फीसदी लोगों को प्रभावित करता है. हालांकि इससे जुड़ी अच्छी खबर ये है कि प्रोस्टेट कैंसर का पहचान अब आसान हो गई है.
महाराष्ट्र के एक बिजनेसमैन ने पिछले तीन महीनों में 23 किलोग्राम वजन कम करके मिसाल पेश की है. उन्होंने अपनी डाइट में बदलाव करके और वर्कआउट रूटीन को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाया. जिस कारण न सिर्फ उनका वजन कम हुआ है बल्कि दूसरी सवास्थ्य संबंधी परेशानी भी हल हो रही हैं.
डॉ. काश्मी शर्मा ने करियर और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को संतुलित करते हुए 37 किलोग्राम वजन कम किया. वह घर का बना खाना खाकर और 45 मिनट का साधारण वर्कआउट करके अपना वजन मैनेज कर रही हैं.
African Swine Fever: केरल में फैल रहा अफ्रीकन स्वाइन फीवर (एएसएफ) जूनोटिक नहीं है और यह इंसानों में नहीं फैल सकता है. इससे पहले 2020 में असम में स्वाइन फ्लू से 2900 सूअरों को जान चली गई थी.