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गिरीशचन्द्र घोष

भारतीय अभिनेता

गिरीश चंद्र घोष (26 फरवरी, 1844 - 6 फरवरी, 1912) प्रमुख बंगाली संगीतकार, कवि, नाटककार, उपन्यासकार, नाट्यपरिचालक और नट थे। बांग्ला थिएटर का स्वर्ण युग मूल रूप से उनकी देन है। [1]

गिरीशचन्द्र घोष

गिरीश घोष की मूरि
जन्म २६ फरवरी, १८४४
मौत ६ फरवरी १९१२
राष्ट्रीयता भारतीय
जाति बंगाली
प्रसिद्धि का कारण प्रबन्धकार एवं लेखक

१८७२ में उन्होंने 'ग्रेट नेशनल थिएटर' की स्थापना की जो पहली बंगाली पेशेवर ड्रामा कंपनी थी। गिरीश चंद्र ने लगभग चालीस नाटक लिखे हैं और इससे अधिक निर्देशन किया है। [2] बाद में वे रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य बन गए।

जन्म और शिक्षा

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स्वामी अद्भुतानन्द, महेन्द्रनाथ गुप्त तथा श्री रामकृष्ण के अन्य शिष्य और भक्तों के साथ गिरीश चंद्र घोष

गिरीश चंद्र का जन्म 1844 में कोलकाता के बागबाजार में हुआ था। वह अपने माता-पिता की आठवीं संतान थे। उन्होंने पहले हेयर स्कूल और बाद में ओरिएंटल सेमिनरी स्कूल में अध्ययन किया। [3] बाद में उन्होंने अंग्रेजी और हिंदू पौराणिक कथाओं का ज्ञान प्राप्त किया।

सन १८६७ में शर्मिष्ठा नामक नाटक के गीतकार के रूप में नाटक की दुनिया में शामिल हुए। दो साल के बाद, सधवार एकादशी में अभिनय करके उन्होने एक अच्छी प्रतिष्ठा प्राप्त की। उनकी कलकत्ता में नेशनल थिएटर नामक एक ड्रामा कंपनी थी। 20 सितंबर 1884 को, उन्होंने नटी बिनोदिनी के साथ कलकत्ता के स्टार थियेटर में चैतन्यलीला नामक नाटक का मंचन किया। बिनोदिनी चाहती थी कि नए थियेटर का नाम बिनोदिनी के नाम से 'बी-थिएटर' रखा जाय। लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें धोखा दिया जिनमें उनके अपने अभिनय गुरु गिरीश चंद्र घोष भी थे। रामकृष्ण परमहंस इस नाटक को देखने आए थे। दोनों ने तब उनका शिष्यत्व स्वीकार कर लिया।

गिरीश चंद्र एक कुख्यात शराबी और स्वेच्छाचारी थे। इसके बावजूद वह श्री रामकृष्ण के अंतरंग शिष्यों में से एक बन गए। "श्री श्री रामकृष्णकथामृत" पुस्तक में उल्लेख है कि श्री रामकृष्ण के संपर्क में आने के बाद गिरीशचंद्र में किस प्रकार नैतिक परिवर्तन आया और वे रामकृष्ण के सबसे घनिष्ट शिष्य बने। [4]

काजी नजरूल इस्लाम ने गिरीश चंद्र के 'भक्त ध्रुव' नामक उपन्यास को चलचित्रित किया। मधु बसु द्वारा निर्देशित और गिरीशचंद्र पर आधारित फिल्म 'महाकबि गिरीशचंद्र " 1956 में रिलीज़ हुई थी।[5]

उन्होंने कई नाटक लिखे। उनके उल्लेखनीय नाटक ये हैं-  

पौराणिक नाटक

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  • रावणबध (181)
  • सीतार निर्वासन
  • लक्षण बर्जन
  • सीताहरण
  • पांडवेर अज्ञातबास
  • जना (1894)।

चरित्र नाटक

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  • चैतन्यलीला
  • बिल्वमंगल ठाकुर
  • शंकराचार्य

रोमांटिक नाटक

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  • मुकुलमुंजरा
  • आबू होसेन

सामाजिक नाटक

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  • प्रफुल्ल (189)
  • मायावसान
  • बलिदान

ऐतिहासिक नाटक

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  • सिराजद्दौला
  • मीर कासिम
  • छत्रपति शिवाजी

1817 में, साधारणी नामक पत्रिका के सम्पादक अक्षय चंद्र सरकार ने उन्हें मेघनादवध काव्य में रामचंद्र और मेघनाद दोनों क्षेत्रों में उनके अभिनय के लिए उन्हें 'बंगाल का गैरिक' की उपाधि से उन्हें भूषित किया।

8 फरवरी 1912 को इस महान अभिनेता और नाटककार का कलकत्ता में निधन हो गया।

 

  1. Kundu, Pranay K. Development of Stage and Theatre Music in Bengal. Published in Banerjee, Jayasri (ed.), The Music of Bengal. Baroda: Indian Musicological Society, 1987.
  2. Girish Chandra Ghosh Britannica.com.
  3. Girish Chandra Ghosh
  4. Girish Chandra Ghosh - Profile "The Gospel of Sri Ramakrishna".
  5. Mahakavi Girish Chandra इंटरनेट मूवी डेटाबेस पर